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सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण ...65 सामायिक और आहारक पर्याप्तक
आहारक और पर्याप्तक जीव की अपेक्षा सामायिक प्रतिपत्ति इस प्रकार है- आहारक और पर्याप्तक जीव चारों में से कोई भी सामायिक प्राप्त कर सकते हैं। उनमें पूर्व प्रतिपन्न की अपेक्षा चारों सामायिक हो सकती है।81
• अन्तराल गति (विग्रहगति) के समय अनाहारक अवस्था में पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा सम्यक्त्व और श्रुत दो सामायिक हो सकती है। • केवली समुद्घात की अनाहारक अवस्था तथा शैलेशी अवस्था में पूर्व प्रतिपन्न की अपेक्षा सम्यक्त्व और चारित्र सामायिक होती है। • अपर्याप्त अवस्था में पूर्व प्रतिपन्न की अपेक्षा सम्यक्त्व और श्रुत सामायिक होती है।82 सामायिक और आयुष्य ___ जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण के अनुसार संख्यात वर्ष की आयु वाले जीव चारों ही सामायिक प्राप्त कर सकते हैं। असंख्यात वर्ष की आयु वाले जीवों में सम्यक्त्व सामायिक और श्रुतसामायिक वैकल्पिक है।83 सामायिक और गति
आचार्य भद्रबाहु के अनुसार नरक, तिर्यञ्च, मनुष्य और देवता इन चारों गतियों में नियम से सम्यक्त्व सामायिक और श्रुत सामायिक होती है। सर्वविरति सामायिक केवल मनुष्य गति के जीवों में तथा देशविरति सामायिक मनुष्य एवं तिर्यञ्च दोनों गति के जीवों में होती है।84 सामायिक चारित्र एवं गुप्ति में अन्तर
सामायिक निवृत्ति मूलक साधना है अतएव कोई जिज्ञासु साधक कहे कि 'सामायिक निवृत्ति प्रधान होने के कारण गुप्ति रूप है' ऐसा मानना चाहिए? इसके प्रत्युत्तर में टीकाकार कहते हैं कि समत्व साधना गप्ति रूप नहीं है, क्योंकि सामायिक चारित्र में मानसिक प्रवृत्ति का सद्भाव होता है,जबकि गुप्ति पूर्णत: निवृत्तिरूप होती है। यही दोनों में भेद है।85 सामायिक चारित्र और समिति में भेदाभेद?
पूर्व विवेचन के अनुसार सामायिक चारित्र को प्रवृत्तिरूप स्वीकार किया जाए तो इसमें समिति का लक्षण प्राप्त होता है अर्थात सामायिक को समिति रूप कहना चाहिए। किन्तु टीकाकार के अभिमत से ऐसा नहीं है, क्योंकि