________________
सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण ...79
स्त्रीकथा, भक्तकथा, राजकथा और देशकथा। सामायिक में विकथा करना।
7. हास्य- सामायिक में किसी की मजाक-मसखरी करना, कटाक्ष वचन बोलना, कौतूहल करना, जान-बूझकर ऊँची-नीची आवाज में बोलना आदि।
8. अशुद्ध- सामायिक के सूत्रपाठों या अन्य स्वाध्याय आदि के सूत्रों को जल्दी-जल्दी बोलना, उच्चारण पर ध्यान न देना आदि। ___9. निरपेक्ष- सूत्र-सिद्धान्त की उपेक्षा करना अथवा बिना समझे उल्टीपल्टी बातें प्रस्तुत करना। ____10. मुणमुण- सामायिक के पाठादि का स्पष्ट उच्चारण नहीं करना, सूत्रपाठों को गुनगुनाते हुए बोलना अर्थात नाक से आधे अक्षरों का उच्चारण कर जैसे-तैसे पाठोच्चारण करना।
ये दस दोष वचन द्वारा लगते हैं।121 काया सम्बन्धी बारह दोष
1. कुआसन- सामायिक में पैर पर पैर चढ़ाकर अभिमान पूर्वक बैठना।
2.चलासन- अस्थिर और झूलते आसन पर बैठना अथवा बैठने की जगह पुनः-पुन: बदलना।
3. चलदृष्टि- सामायिक में इधर-उधर देखना, दृष्टि को स्थिर नहीं रखना।
4. सावधक्रिया- सामायिक में बैठने के बाद हिंसाजनक कार्यों को स्वयं करना या दूसरों से करवाना।
5. आलंबन- दीवार या पलंग आदि का अवलंबन (सहारा) लेकर बैठना। 6. आकुंचनप्रसारण- निष्प्रयोजन हाथ-पैर लम्बे करना। 7. आलस्य- सामायिक में बैठे हुए आलस्य करना, अगड़ाई लेना।
8. मोडन- सामायिक में बैठे-बैठे हाथ और पैरों की अंगुलियाँ चटकाना, दबाकर आवाज करना।
9. मल- शरीर का मैल निकालना।
10. विमासन- गाल पर हाथ रखकर शोकग्रस्त की तरह बैठना अथवा बिना पूँजे शरीर खुजलाना।
11. निद्रा- सामायिक में नींद के झटके लेना या सो जाना। 12. वैयावच्च- सामायिक में दूसरों से सिर या पैर दबवाना, मालिश
करवाना।122