Book Title: Samayik Lekh Sangraha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 16
________________ संस्कृति में पले पासे होने के कारण, हमारे देश के लिए जो बातें बुरी हैं-पतन के कारणभूत हैं- उन्हें भी प्रोत्साहन दे रहे हैं। उदाहरण के तौर पर-जैस सिनेमा। कौन नहीं जानता कि चोरी, झूठ, प्रपंच, व्यभिचार आदि संसार की सारी बुराइयां सिनेमा सिखाता है ? जहां हमारी संस्कृति माता बहन और . युवती पुत्री के साथ एक आसन पर बैठने का पुत्र, भाई और पिता को भी निषेध करती है, वहां किसी भी स्त्री के साथ, किसी भी प्रकार बैठने, घूमने और सैर विहार करने की प्रवृत्ति कहां से चली ? जहां कुल-शील की समानता और भिन्न गोत्र को देखकर विवाह शादियां करने की संस्कृति थी, वहाँ हर किसी के साथ हर किसी ममय और हर किसी प्रकार सम्बन्ध ( लग्न नहीं) जोड़ कर वर्ण संर प्रजा उत्पन्न करने को किसने सिखाया ? जहां किसी भी पर-स्त्री के सामने नेत्र से नेत्र मिला कर बात करना भी अनुचित समझा जाता था, वहां जवान लड़के लड़कियों को एक साथ बैठना, हँसी मजाक करना, एक बैंच पर बैठ कर पढ़ना, एक साथ सिनेमा देखने को जाना इत्यादि बातें किमने सिखायौं ? जहां माता, पिता, गुरु, अतिथि आदि पूज्यों को देव समझ कर उनके प्रति बहुमान रक्खा जाता था, उनके साथ विवेक और विनय पूर्वक बातचीत की जाती थी, वहां आज उनका अपमान किया जाता है। उनके प्रति युद्ध किया जाता है, उनके ऊपर मुकदमे किये जाते हैं। अरे, अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उनका खून नक किया जाता है, यह संस्कृति कहां से आयो ? यहां हमारे खान-पान में भक्षा-अभक्ष्य का विचार किया जाता था, पाप को पाप समझा जाता, वहां अाज अहिंसा, सत्य और प्रेम के नारे लगाते हुएमहात्मा गांधी जी के शिष्य होने का दावा करते हुए समाओं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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