________________
एक अथवा अन्य तरीके पर बाध्य करता है। चौथी बात यह है कि वर्तमान समय में ठोस काम की अपेक्षा कागजी काम इतना बढ़ गया है कि जिसके कारण समय और द्रव्य-व्यय भी काफी हो रहा है। ____उपर्युक्त बातों की तरफ यदि कोई संस्था उपेक्षा बद्धि रखतो है और अपनी पद्धति के अनुसार, शिक्षण प्रचार के लक्ष्य को परा करने में दत्तचित रहती है तो शासनाधिकारियों की अमची के पात्र भी बनने का भय निरन्तर रहता है । इसलिये इच्छा से किंवा अनिच्छा से, सबके साथ सबको ये कार्य करने पड़ते हैं। एक तरफ जनता का सहयोग कम और व्यय अधिक ऐसी परिस्थिति में सामाजिक शिक्षण संस्थाओं का भविष्य मुझे तो भयजनक मालूम होता है। इसलिये शासन को चाहिये कि उपयुक्त सारी परिस्थियों पर ध्यान देर ५० प्रतिशत सहा. यता करने के नियम में परिवर्तन कर, अधिक नहीं तो कम से कम ७५°/ प्रतिशव की सहायता करने का नियम बनाना चाहिये।
संस्थाएं, खास करके ऐसी सामाजिक शिक्षण संस्थाएं कि जो केवल परोपकारार्थ चलती हैं और ज्यादातर गरीब और मध्यम वर्ग के वालकों में शिक्षण प्रचार और चरित्र निर्माण के लिये ही चलाई जाती है, ऐसी संस्थानों में अध्यापक और पुस्तकादि शिक्षण साधनों के अतिरिक्त अन्य व्यय भी काफी होता है कि जो अनिवार्य होता है । शासन यदि वेतन और एक आध नौकर के व्यय की ही ३० प्रतिशत देकर के चुप रह जाय, तो संस्था के संचालकों को दूसरे बहुत बड़े व्यय की व्यवस्था करने के लिये, भीख मांगने की भावश्यकता होती है, जो कि भाज के समय में एक असाध्य सा प्रयोग रह गया है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com