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सामने रख कर, जीवन व्यवहार बनावें, शासन चलावें, इसके विपरीत जो कुछ होगा, उसका नतीजा उल्टा ही हमें भोगना पड़ा है और भोगना पड़ेगा। हमारे दृश्यों में अहिंसा वृत्ति उत्पन्न करने की जरूरत है। अनिवार्य हिंसा एक चीज है और स्वार्थ वृत्ति के कारण दूसरे जीवों का संहार करना उचित और सुखदायक नहीं है।
हमारे सुख के प्रयोग हमें समुचित रीति से करना चाहिये जिससे हमारी संस्कृति और हमारी अहिंसक वत्ति में कोई अन्तर न पड़े।
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