Book Title: Samayik Lekh Sangraha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 121
________________ ( ११२ ) इसलिये मेरा नम्र निवेदन है कि शासन को अपनी अधिक उदार नोति बनाने की आवश्यकता है। यदि शासन ऐसी संस्थाओं द्वारा शिक्षण के हेतु सफल होने की आशा रखता है तो बेशक, जैसा कि मैं पहिले लिख चुका हूं कि जो संस्थायें निजो हों. स्वार्थी हों, केवल पैसा कमाने के लिये चलाई जाती हों जिनका कोई विधान न हों ऐसी संस्थाओं को शामन की ओर से सहायता न मिले, तो कोई बरी बात नहीं है । बल्कि मिलनी हो न चाहिये । किन्तु जो संस्थाएं सम्बो हैं, प्रामाणिक हैं, ठोस काम करने वाली हैं, परोपकारार्थ चलती हैं, जिनका विधान वर्तमान समय के नियमानुसार निश्चित हो, ऐसी संस्थाओं को अधिक से अधिक सहायता देकर प्रगतिशील बनाने में पूरा सहयोग देना चाहिये । __आशा है शासन उपर्युक्त सभी परिस्थितियों का अवश्य विचार करेगा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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