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सच्चे सेवकों का सम्मान
अभी इसी सप्ताह शिवपुरी के एक डाक्टर श्री आनन्दस्वरूप मिश्रा साहब का यहाँ से बबादला हुआ। डा० मिश्रा शिवपरी में करीब दस वर्ष रहे। जिस दिन उनके स्थानान्तर का समाचार जनता ने निश्चयात्मक सुना, उसी दिन से सारे शहर में एक प्रकार की उदासीनता सी छा गई। उनके विदाई के मान में पार्टियां, सभायें, आभारपत्र आदि जल्से शुरू हुए। आखिरी जल्सा हमारे संस्कृति महाविद्यालय के व्याख्यान हाल में हा। वक्ताओं ने उनके गुणों की बड़ी तारीफ की। संस्था की ओर से आभारपत्र दिया गया और एक व्यक्ति की तरफ से चांदी का कास्केट भेंट किया गया। दूसरे दिन जब वे विदा होकर बाजार में से निकले तो सारे बाजार के एक एक दुकानदार ने उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की। किसी ने नोटों के हार से, किसी ने जरी के हार से, किसी ने नारियल और नकद रकम से सम्मान किया। डाक्टर मिश्रा की बिदाई जनता के लिये असह्य हो रही थी। स्त्री और पुरुष, बालक और वृद्ध सभी की आँखें आसओं से तर थीं । दृश्य करुण था । लोंगों ने छाती से लगाकर शिवपुरी की सेवामूर्ति को विदा दी। पूछा जा सकता है कि डा. मिश्रा का इतना सम्मान शिवपुरी की जनता ने क्यों किया ? इसलिए कि उन्होंने अपनी निर्लोभता, परोपकार वृत्ति, वापी की मधुरता हृदय की कोमलता, छोटे-बड़ों के प्रति निस्पक्षता, गरीबों के प्रति दयालुता आदि उच्च गुणों के द्वारा समस्त जनता के हृदय में स्थान पा लिया था। जो मनुष्य अपने गुणों से दूसरे के हृदय
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