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कुदरत ने बुद्धि, विवेक, शक्ति आदि होने पर भी वह ऐसी स्वार्थान्ध बनाई गई है कि प्रति क्षण उसकी वृत्ति हिंसामय ही रहने लगी है । इन अपराधों का हो परिणाम है मानव जाति के ऊपर प्लेग, इन्फ्ल्युएन्जा, महामारी, भूकंप, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, दुष्काल, टीड़ का उपद्रव, अग्नि का प्रकोप, पानी की बाढ़े एवं अनेक रोगादि निमित्तों द्वारा हम सुख की भावनाओं को सफल कभी नहीं कर सकते । महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के द्वारा ही देश को स्वतंत्रता दिलवाई है । भारतीय प्रजा के सुख के लिये हमारी हिंसक वृत्ति कभी सरल नहीं होती । बुराई से भलाई उत्पन्न नहीं हो सकतो दूसरे पर आक्रमण करने की लुटेरू प्रवृत्ति से हम शान्ति स्थापित नहीं कर सकते । हिंसा से हिंसा बढ़ती है। हिंसा से शान्ति स्थापन नहीं हो सकती । बैर से बैर बढ़ता है बैर से बैर दूर नहीं होता ।
संसार की शान्ति के लिये सर्वश्रेष्ठ उपाय एक ही है और वह है अपराधों से दूर रहना । जब से मैंने यह सुना है कि मध्यभारत सरकार ने एक सात्त्रिक व्यवहार, कुशल, निर्लोभी, निर्व्यसनी और उच्च प्रकार के नैतिक जीवन को रखने वाले विशेष आफीसर की नियुक्ति करके शिवपुरी जिले से अपराध रोकथाम आन्दोलन प्रारम्भ किया है। तब से मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है । वस्तुतः देख जाय तो जैसा कि मैं ऊपर कह चुका हूँ कि मानव जाति की शान्ति का उपाय है अपराधों को बन्द करने के लिये किसी अंश में भी इस प्रवृत्ति को हाथ में लेना देश के लिये सद्भाग्य की निशानी है । यद्यपि यह कार्य आसान नहीं है किन्तु सुयोग्य सदाचारी मनुष्यों द्वारा यदि यह प्रवृत्ति चालू रखी जाय तो किसी अंश में भी सफलता मिल सकती है ।
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