________________
( ४८ ) में स्थान पाता है वही उनका पूज होता है। उनके भादर का पात्र होता है।
स्वतन्त्रता प्राप्त होने के पश्चात भारत के राजाओं का राज्य गया, उनकी सत्ता गई, उनका अधिकार गया और वे सामान्य नागरिक की तरह से आज भारत में रहते हैं। किन्तु उन राजाओं में कुछ ऐसे भी हैं जिनका आदर सम्मान उनकी भूतकाल की प्रजा उसी प्रकार से करती है, जैसे उनके राजत्व काल में करती थी। बल्कि देखा तो यह भी गया है कि उस प्रजा का अपने भूत कालोन पिता के प्रांत उस समय से भी अधिक
आदर बढ़ा है। सामान्य नागरिक की हैसियत से कहीं भी जाकर वे खड़े होते हैं, तो हजारों की भीड़ बिना बुलाये, इकठ्ठी हो जाती है । उनके पैरों को छूते हुये एक प्रकार की स्पर्धा होने लगती है। अपने पूर्व कालान मालिक के दर्शन करने में लोगों के नेत्र तृप्त नहीं होते, मानों घण्ठों तक उनके दर्शन करते करते हर्ष से आंसू बहाते रहते हैं । किसी सभा में गड़बड़ी होने पर बड़ा से बड़ा अधिकारी या सैकड़ों डण्डेधारी पुलिस के जवान तो शान्त नहीं कर सकते वह कार्य सत्ता को त्यागा हुआ किन्तु जिसने जनता की सेवा करके जनता के हृदयों में स्थान प्राप्त किया है, उसके इशारे मात्र से सारी अशांति रफू-- चक्कर हो जाती है और शान्ति का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। ___कहने की आवश्यकता नहीं कि जनता कुर्सी, टेबलों, सोनेचाँदी के सिंहामनों या मखमल जरी के गादी तकियों के स्थानों की अपेक्षा अपने ह्रदय के स्थान को बहुत बड़े महत्व का सममती है। उस स्थान पर जो विराजता है वही उसका मालिक है। वही उसका राजा है, वही उसका आराध्य है और वही उसका पूज्य हैं।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com