Book Title: Samayik Lekh Sangraha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 21
________________ ( १२ ) माना जा सकता है ? इसके अतिरिक्त मनोविज्ञान के सिद्धान्तानुसार, निषेध भी कभी अधिक प्रेरणोत्पादक होता है। जिस चीज का किसी को, खास करके बालकों को निषेध किया जाता है, तो उसकी तरफ उसकी चित्तत्ति अधिक प्रेरित होती है। इमलिए ऐसी चीजों का सर्वथा अदृश्य होना, यही अधिक लाभदायक होता है । मैं यह मानता हूं कि 'सिनेमा' यह किसी भी कार्य-प्रचार के लिए एक बहुत अच्छा साधन है और उस साधन का उपयोग अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए यदि सरकार करना अथवा कराना चाहे, तो वह कर सकती है। किन्तु वर्त न समय में 'सिनेमा' द्वारा जो प्रचार हो रहा है, वह हमारी बहू-बेटियों हमारे बालक-युवकों तथा शुद्ध गृहस्थाश्रम को पतित बनाने के अतिरिक्त और किस बात में उपयोगी हो रहा है ? ____ इसी प्रकार शृङ्गार से भरे हुए उपन्यास भादि बीभत्स पुस्तकें, चित्र, विज्ञापन आदि पर भी सरकार को सख्त निषेधात्मक आज्ञाएँ प्रचलित करनी चाहिए। एक भोर से हमारे बालकों और युवकों का जीवन-स्तर ऊपर उठाने की हम बाते करें और दूसरी ओर से चरित्र के पतन करने वाले साधनों का प्रगर करें यह 'वदतोव्याघात्' नहीं तो और क्या जो गृहस्थ पैसा पैदा करने के लिए भारतीय संस्कृति से विरुद्ध ऐसा व्यभिचार-प्रचारक धंधा करते हैं वे देशद्रोही नहीं हैं क्या ? देश के शुर्भाचन्तकों का तो यही कत्तव्य है कि हमारी संस्कृति का रक्षण हो, हमारी बहन बेटियों का चरित्र पवित्र रहे, हमारे युवक उच्च प्रकार का अपना चरित्र निर्माण करके सच्चे महावीर, सच्चे नागरिक और सच्चे आदर्श पुरुष बने, ऐसा कार्य करें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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