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( ४० ) लेकर जगह जगह दिखलाई जावे तो इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है इसके अतिरिक्त बुनियादी शिक्षण पद्धति की फिल्में भी बहुत कुछ लाभदायक हो सकती हैं ।
मेरे कहने का आशय यह है कि सिनेमा हमारे जीवन को एक मृत्युदायक जहर समान होते हुये भी शिक्षण प्रचार में उसका उपयोग सुचारू रूप से किया जाय, तो वह अमृत का काम कर सकता है । बौद्धिक शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और हर प्रकार को शिक्षा का प्रचार करने के लिये सिनेमा अपूर्व साधन है और उस साधन का उपयोग अधिक से अधिक मात्रा में किया जाय, तो वह लाभदायक हो सकता है। इसके साथ ही साथ जो फिल्में आज नैतिक पतन का कारण हो रही है, ऐसी फिल्मों को एक दम बन्द करना भी जरूरी है। अनादिकाल से मानव की मनोवृत्तियाँ लोभ, मोह, माया, विषय, वासना की
ओर झुकी हुई हैं। शिक्षा से सम्बन्ध रखने वाली अच्छी फिल्मों का प्रचार करते हुये भी, ऐसी बुरी फिल्में बन्द न होगी तो उन फिल्मों का जैसा प्रभाव पड़ना चाहिये, नहीं पड़ सकता वे जैसी चाहिये सफल नहीं हो सकती है इसलिये सरकार की ओर से यदि राष्ट्र का वास्तविक निर्माण करना है, तो दो बातों की आवश्यकता है। (१) जोवन का पतन करने बाली फिल्मों को बन्द करना और दूसरी जीवन के वास्तविक गुणों को प्रकट करने वाली फिल्मों का प्रचार करना ।
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