Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 13
________________ रिहणेमिचरिउ उप्पज्जइ चक्कु पाविज्जइ रज्जु घत्ता समरे णिहम्मइ वइरि-वलु। एउ पुराइउ पुण्ण-फलु ॥ परिओसिय सयल-वि णियय-वंधु अहिसित्तु सउरि किउ पट्ट-वंधु वसुएवहो दाहिण सेणि दिण्ण पंचास-महापुर-भेय-भिण्ण महुरहिं पइसारिउ उग्गसेणु वसुहद्ध विहंजिउ जिह सुहेण कुरु-जंगल-मंडलु पंडवाहं अवरई पुणु अवरहं वंधवाहं महि पालइ गयउरु धम्म-पुत्तु णय-विक्कम-विणयायार-जुत्तु धयरट्ठहो कम-कमलई थुणंतु. गंधारि जणेरि व जय भणंतु ताइ-मि चिंतंतइ धम्मु मोक्खु वीसरियई पुत्तहं तणउं दुक्खु वहु-कालहो णारउ आउ पासु किउ सव्वहिं अब्भुट्ठाणु तासु __घत्ता गहियारिसाए णिय-सरीर-मंडण-मइए। णारउ पइसंतु णवर ण जोइउ दोमइए। [८] आसीविस-विसहर-विसम-चित्तु देव-रिसि हुवासणु जिह पलित्तु विच्छोइय जाम ण अज्जुणासु कउ ताम मणोरहु महु मणासु स-विमाणु स-धयवडु अंवरेण । __ गउ धायइ-संडु खणंतरेण जहिं पुरवरु णामें अमरकंक वित्थरेण परिट्ठिय णाई लंक ४ वसुहाहिउ दीसइ पउमणाहु दीहर-पारोह-पलंव-वाहु पडिवत्ति जहारुह किय णिवेण दक्खविउ जुवइयउ पत्थिवेण लइ पेक्खु मणोहर-देहियाउ सग्गे-वि अत्थि जइ एहियाउ तेण-वि दरिसाविय पडिम तासु णं हत्थ-भल्लि मयरद्धयासु घत्ता सहसत्ति णरिंदु दोमइ-पडिमए दिट्ठियए। मुच्छविउ णाई उरे कण्णीए पइट्ठियए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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