Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 39
________________ छण्णवइमो संधि - सिरि- रामालिंगिय देहेण धणु णामिउ जलयरु पूरियउ [3] तो कंदप्प - दप्प - रिउ - मद्दणु दिट्ठ तेण सा सज्झस-गारी अडइ-व वाणासण - संपण्णी तिणयण-तणु व सुअंग-भयंकरि जम-णयरि व वहु माणुस - मारी सुरगिरि-लच्छि व कणय- समिद्धी अट्ठमि अद्धचंद-दरिसावणि सरसी व चक्कालंकिय-देही पइसेप्पणु णेमि - कुमारेण दिई दूसइ परलोइय - । भीम भुयंग- सई जिएण ( सेज्ज - ठिएण ? ) । तिण्णि-वि एक्क - वार कियउ ॥ १ घत्ता Jain Education International [२] जहिं च वच्छंदतया जहिं विहत्थि - मत्तया वराहकण्ण- कण्णिया जहिं च पट्टसालया जहिं च थूणकेण्णया खुरुप्प - भल्ल - तोमरा तिसूल - सत्ति-सव्वला सुरासुरेहिं दिण्णया आउह साल ढुक्कु सिव- णंदणु - दणु-दप्प - हरण-पहरण - धारी सरवर-गय- सारंग - रवण्णी जिणवर - पडिम व णरय - खयंकरी आवण - पंति व पट्टिस- सारी पुन्नालि व पर- पुरिस-पइद्धी कुइ व सूईमुह-संकामणि पुणु-वि महाउह- साल जे जेही । दुद्दम - देह - वियारणई | दुरिसणाई इव पहरण || फणि व्व विप्फुरंतया करिंद - कुंभ- भेत्तया अय-वण्ण-वणिया - महा भुयंग मायया सुवण- विंदु छण्णया मुसुंढि कुंत मुग्गरा कुढार - खग्ग-लंगला अणेय भेय- भिण्णया - For Private & Personal Use Only ४ ८ ९ ४ www.jainelibrary.org

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