Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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तिउत्तर-सउमो संधि जीवउ स-सुहि स-पुत्तु स-भज्जु व कित्तिउ कालु णिरग्गलु रज्जु व अक्खइ णेमि अभाउ स-दारहो वारसमए संवच्छरे दारहो
घत्ता अण्णु वि हलहरु तहिं काल-महब्बलवंतहो। णिय-पुव्वक्खइं सइं अवसाणु अणंतहो।
[१३] पुणरवि रेवइ-वरो पभणइ देवदेवा।
कहु पासिउ अभाउ किं कारणेण के वा ॥१ (हेला) पुर-विणासि किं कण्हु करेसइ कहिं पएसि कहो करेण मरेसइ कम्म पहा किं कत्थ हवेसइ कित्तई जम्मंतरइं भमेसइ कित्तिउ कालु हउं जीवेसमि हरिहे विओए किं णु करेसमि सोय-कालि णिय-रिसणइ(?)दावेवि को मइ संबोहेसइ आवेवि कालु करेवि कित्थु जाएसमि कइ इह कम्मु-वंधु मुंचेसमि इय वयणाहिं वरु कम्म-खयंकर साहइ बावीसमु तित्थंकरु जउण-महाणइ-तड-संजायहो दीवायण-णामहो विक्खायहो
घत्ता . आयहो पासिउ जं सयल-जणहो दुह-संदणु। मजहो कारणिहिं दारावइ-विद्धंसणु ॥
[१४] अण्णु वि चंड-कंड-धणुहर-सहाएणं
वसुएव-पिय जराए वि जायएणं ॥ १ (हेला) आएं जरेण कउसंवि-वणि परमाउ पवण्णु पसु-रुहणि णिय-भाइ कणिट्ठउ चक्कहरु घाएवउ एहु सिरि-धरणिहरु पुणु होसइ कालि विणासयरु तइयइ जम्मंतरि तित्थयरु एयहो विच्छोइ किलामियउ तुहं राम होसि सुपभावियउ सग्गहो अवयरेवि तेय-पउरु पडिबोहेसइ सिद्धत्थ-सुरु पुणु तुहुं वीसुत्तरु वरिस-सउ सण्णासु करेवि मरेवि तउ
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