Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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अट्ठाणवइमो संधि
घत्ता
सिवएविहे देहु चमक्कियउ जइ केम-वि धरेवि ण सक्कियउ। तो एवंहि हत्थुत्थल्लिउ जजाहि पुत्त मोक्कल्लियउ॥
[३] तिह करे जिह णिय-णामु पगासहि तिह करे जिह कम्मइं विद्धंसहि तिह करे जिह कसाय ओसारहि तिह करे जिह इंदियई णिवारहि तिह करे जिह कालेण वजंतें तित्थु होइ उज्जंतु पयत्तें तिह करे जिह गुण-थाणु चडप्पइ तिह करे जिह पर-लोउ विढप्पइ ४ तिह करे जिह तइलोक्कु पहावहि तिह करे समवसरणु जिह आवहि तिह करे जिह संपजइ केवलु तिह करे जिह सिज्झइ भामंडलु तिह करे जिह असोउ उप्पज्जइ तिह करे जिह सुर-दुंदुहि वज्जइ तिह करे कुसुम-वासु जिह वासइ तिह करे दिव्व भास जिह भासइ
घत्ता तिह करे जिह छत्तइं चामराइं सिंहासण-सुहइं णिरंतरइं। तिह करे जिह तिहुयणे तुहुं जे पहु करे लग्गइ सासय-सिद्धि-वहु ॥ ९
[४] तो ति-णाणि भुवण-त्तय-सारउ होइय सिविय-वलगु भडारउ उत्तर-कुरु णामेण पसिद्धी धणय-सिद्धि-संघडण-समिद्धी जोइस-देवेहिं पच्चुच्चाइय कप्पामरेहिं अमर-पहे लाइय मंगल-तूरइं हयइं अणंतई उब्भियाइं धय-चामर-छत्तइं ४ गउ परमेसरु जय-जय-सद्दे अम्मणुअंचिउ तो वलहदें अम्मणुअंचिउ पंकज-णाहें भड-भोइय-सामंत-सणाहें अम्मणुअंचिउ दसहिं दसारेहिं अम्मणुअंचिउ राय-कुमारेहिं जो जहिं णिसुणइ सो तहिं उज्जइ(?) +++++++++++++++ ८ पुण्ण-पवित्तु सुरठ्ठद्धारणु सिद्ध-खेत्तु सिद्धी-सुह-कारणु महुयर-महुरुल्लाव-मणोहरु कल-कोइल-कुल-कलयल-णियरु इंदणील-मणि-छाया-सामलु णेमि-कुमार-कंति-किय-सामलु
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