Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 101
________________ ९२ वेड - गुहा वर - खेयरि खेयर उहय सेढी पुरिउ कप्प - हुम-खेत्तई भूमि - विचित्तई चक्काहिव - जिय सु-विभंग - सरीवर - जक्खाहिव - थर - वक्खार - दिसय रायउरारण्णइं सुड्डु रवण्णइं पवराई जाय वेव वर - दारयामर स्तयरविराइं ( ? ) वेलंधर - दीवई सेल - समीवइं गज्झम ( ? ) - भीम - तरु मारुय-गम-भंजणई सुर-रंजण दहिमुह वर णिहरु वावीउ रयण - गिरिंद मेरु- कुरु - दह - संख घत्ता रुहण (?) - देवालय - सिहरई । अनमाण दीव - मयरहरई ॥ - [९] किण्णर- किंपुरिस - गरुड-गंधव्व- जक्ख- रक्ख भूय-1 - पिसाय सुराहिव-करण - सरोरुह-रुक्ख दीवहि थाणिय विज्ज कउर्हाग्गे मरुकुमारा । ससहर - दिवसयर - पवर- गहणियर - रिक्ख - तारा वरसग्ग विमाण पडल सेढी गयंवराई पुप्फवइ - णव-विसाल - सीतय (?) - अणंतराई वित्थार सरूवणामप्पह-दीहरत्तणाइं - - इंद-पडिंद-वाहण-सुरत्तणाई महिसीलो - पवाल - सामण्ण- सुर- सरीउ संखा - वण्णाउ - सत्ती - उच्छेद- हरिसिरिउ । सुरकरि - सरि सरि विधावि पोक्कारिणी तरु अणेय (?) अट्ठावभम पढवीसिद्ध गुणसहस रूखत्ते (?) Jain Education International घत्ता कम्मविणासोवाय- समीर - अनंतायास । णाण - पहावें णासिय अप्फलेइ जणे णिसेसई || For Private & Personal Use Only रिट्ठणेमिचरिउ ४ १) ४ १२ १३ www.jainelibrary.org

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