Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 108
________________ तिउत्तर-सउमो संघि माया-लहबल-णिद्दलणाए सुधुलबल-कंजय चलणाए चल-केसि-गलयल-कय-पयाए जमलज्जुण-भूलुह-विलयाए गोवद्धण-वल-उद्धलणाहे गोउलि लीला-संचलणाए विसहल-गुलु-सेज्जा-लहणाए पलसूलत्तणु-लिह-लहणाए आउलिय-जलयल-पवलाए अट्ठत्तर-सय-णाम-हलाए हेला-सुचडाविय-चावाए दस-दिसि णीसलिय-पयावाए कालिंदिय-महदह-मंथाए कालिय-सिय-चिंध-पवण्णाए तोडिय-कोमल-मामलसाए लंगदि गोदुह-किय-कलसाए संघालिय-णिलि-चालूणाए ++++++++++++++ उक्खल-माहुल-तलमूलाए मागह-पुव्वद्धा-कलाए घत्ता णिय-सीहासणु मिल्लिप्पिणु सिरु णामंतउ। जिण सवडंमुहु गउ सत्त-पयाइं तुरंतउ॥ पुणु आणंद-भेरि-सद्देण जय-पहाणो चलिउ महण्णवो व मणि-रयण-सोहमाणो॥ १ (हेला) एक्वंतरि णिग्गइ संकरिसणि वयरि-णरिंद-णियर-दुद्दरिसणि लोहिय-दुहिया रोहिणि तणुमुहि सुरवइ-कुलिस-सरिस-सीराउहि ईसरंगि ससि-तारा-णिम्मलि सुरसरि-णीर-खीर-हारुज्जलि सुटु रुडु मुट्ठिय-संघारणि कंसासुर-किंकर-विणिवारणि रेवइ-वयण-सरोरुह-महुयरि रणउहि वेणुदारि-रिउ-भययरि केसरि-वाहणि विज्जाहारणि खेयरि जंबुमालिणि वसाहणि वंदारय-णिय-णयण-मणण्णिए परियाणिय-विण्णाण-कलालए संगय-सिरियरताणक्करिसणि दस-दसार-रोयण सुय-दरिसणि ८ [इयमण्णि व मागधिका भासा ॥ मत्तमातंग छंद ॥] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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