Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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घत्ता
तं हरिणंक - वयणु सुवि दीहर - दिस - वित्थिष्णु णहु
वाहण - जाण - विमाण - सहासेहिं अमरवरगण णवर मेहलियहिं णं उव्वेल्लइ धय-संघाएहिं णं रसमसइ रसंतेहिं तूरेहिं संख-ताल-पडु-पडह- णिणद्देहिं वहिरिउ अंवरु किं पिण सुव्वइ सो सो पडिव पल्लट्टउ तेण पुरंदरेणभय-दाणें
[१४]
भावण- पमुह- दसट्ठट्ठारस कप्पामर दस - भेय समासिय
अहि पायालहो णर पुरहुं तिहुयणु णीसुण्णउं करेवि
घत्ता
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सत्ताणीयाणीय णिओइय लोयपाल किव्विसय पइण्णय हय-रह-गय-पाइक्काणीयइं आयइं आयइं सत्ताणीयइं जोइस पंच तियाहिय विंतर पुव्व - दिसए पइसरइ पुरंदरु
[१५]
घत्ता
सुरवइ - सिरि जिणवर - सिरिहे तिहुणु णवल्लह-वल्लहहो
सग्गहो आइय देव - णिकाय । जिण - वंदण - भत्तिए आय ।।
सहसत्ति पुरंदरु आइउ ।
तो वि सुर- गणु कहि-मिण माइयउ ॥ ९
लंवइ गयणु णाइं चउ-पासेहिं णं विप्र झत्ति विज्जुलियहिं हम सुधेहिं वाएहिं णं जिगजिगइ रयण-पडिसूरेहिं णंद-वद्ध-जिण-जय-जय - सद्देहिं भणइ सक्कु जो रूउ विउव्वइ इयरु सव्वु वंदणहं पयट्टउ थिय सुरवर दस - धणुव - प्रमाणें
तेवं तीस पराइय सरहस वासव तायत्तीस समासिय परिस- अंगरक्ख अहिआइय दस कप्पामर ओए समुण्णय वसुहच्छर-गंधव्वाणीयई गंध-धूव-वमालालीवइ भावण दस- पयार णय
समवसरण पेक्खंतु मणोहरु
रिट्ठणेमिचरिउ
जयजयकार करंतु पुण थाइ । महविए वि ए कामिणि णाई ||
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- सिरय-कर
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