Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 78
________________ समो संधि [५] चलिउ जाम संसार- कयंतउ ताम तुरिउ वीरेहिं विउव्विय वियरइ सहुं तियसहं अग्गए हरि पास - परिट्ठिय जिण - गुण-वोहिय सोह दिंति णव-तिवलि - तरंगउ लच्छिउ मंगल-कलसेहिं आइय तहिं धरणिंद-देव-फण- कप्पिणु चलिय जक्ख जिणवर-पय- सेविय तरुवर-णव- कुसुमेहिं अणिट्टिय जाउ फलवंति वण- राइउ उब्भिय-कर- - तोसाविय- - सुरवर घत्ता तो विहरंति णेमि णहु णिम्मलु धम्म चक्कु भा - दंडु समुट्ठिउ - सुरयण-‍ अक्कु विभाव एवि लग्गउ तहिं पडिविंवउ - सग्गहो उडु गहय ससि णिम्मलु मणिमय-पसरेहिं जिण - जणियायरु are भत्ति थिय रहसागय जं विज्जाहर संखोहु भरतए मिणाह - विहरणए चलंतए । देवेहिं महि तिह पहतिय ( ? ) पुण्णा जिह णीसेस सग्ग थिय सुण्णा ॥ [६] घत्ता जिणवर - चलण - णवंतहं पवरहं वियड-मउड-थडु णियडु सुहावइ Jain Education International - चमर - सहासेहिं विज्जिज्जंतउ पउम-संख-णिहि पुरउ परिट्ठिय कुल- सेलेहिं णं सोहि सुर- गिरि आसणे पडिहारत्तणे सोहिय वहु-लायण्ण-सलिल - भरियंगउ सरसइ-वीणायर (?) - संपाइय णं सिर- मणि दीवियउ धरेप्पिणु पाडइ कुसुम - वासु वण- देवय सयल - विरिउ (?) णिय-फलेहिं परिडिय महमहंतु मलयाणिलु वाइउ पउर-सास-संपुण्ण-वसुंधर ८ जोइस भावण - विंतर - अमरहं । मणि- कुट्टिमु एहु वीउ णावइ ।। ४ ससहर - किरण - कलाव- समुज्जलु सयल-जणहो दप्पणु व परिट्ठिउ जोयण - एक्क- पवाणु समग्गउ जिण - दंसणे णिम्मिउ णिय - विग्गहु ४ अहिमयरंसु - जालु हिम-सीयलु विज्ज- वलग्गु णाई रयणायरु कंचणमय कुंभयरहिं सागय For Private & Personal Use Only ६९ १२ www.jainelibrary.org

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