Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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बिउत्तर-सउमो संधि
८
स-पसाहणु महुसूयण-मणिदु अणुलगु कण्ह-रामहं पइड
. घत्ता एएहिं विजय-पमुहेहिं सीसग्गे चडाविय हत्थेहिं। जिण-वंदण पारद्ध भत्तिए जायवेहिं समत्थेहिं ।।
जय जय चलुच्चारुप्पाय-छत्त-त्तयासोय-दिव्व-ज्झुणी-दुंदुहीपुप्फ-विट्ठि-मइंदासणोरु-प्पहा-मंडलाणेय-चारु-प्पडायाइ-रिद्धिं-जया । जय जय असुरिंद-णागिंद-देविंद-आसिंद-अगिंद-वाइंद-गंधव्व-जक्खिंदभूइंद-पेइंद-खगिंद-विंद-त्थुया। जय जय वर-राय-रोस-च्छुहा-भय-खेय-तिसा-विब्भय-दोस-णिद्दा-जरा-मोहचितारई-मद्दवाहा-विसाया-दुहुप्पत्ति-संताव-लोहुज्झिया। जय जय माण-माया-भराइ-सल्ल-त्तय-दुग्गम-कम्मिंदिय-कसाय-पमाय-अंतराउहसंखोह-मिच्छत्त-विच्छड्ड-दूरस्सया गिज्जिया। जय जय विमलिंदणीलालि-संदोह-कंदोट्ट-कंकाल-जीमुत्त-ईसाण-गीवातमालंधि-वोहायसि-पुप्फंजणोपाय-वाम-पूरोह-कंठ-प्पहा । जय जय महा-वज्ज-राजीव-चंदक्क-साइ-दूसयारमाया-माला-समुद्दा सकुंतावत्तंतणारी-सरिसच्छिए-भारि-मीणाई-सोविल्ल-देहावहा। जय जय तव-संजम-णंत संधीरिय-णाणा-सीलोह-तेलोक्क-पोमा-सिरीवच्छ-लंछच्छया-दया-धम्म-सम्मत्त-चारित्त-एक्कल्ल-माणिक्क-पुंजालया। जय जय घोर-संसार-दुत्तार-दारिद्द-दोहग्ग-दुव्वाह-दुम्मोह-दुब्भावलल्लक्कयाविक्क-दुभिक्ख-काल-कलि-दुम्मई-दारु-पज्जालया॥ ८
___ (ध्रुव-दंडक)
घत्ता
विट्ठि-दु-सउण-गहाई अवरइ-मि जाइं अपसत्थई। तुह मुह-दसणे देव धू सव्वई हु होति पसत्थई ।
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