Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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रिठ्ठणेमिचरिउ पउमसेण-धुयसेणहं लहुई लक्खण-णाम पुत्ति गुण-गरुई हरि-सोहगु सुणेवि तुहुँ पियरें आणेवि दिण्ण भणिउ किं इयरें पुण्णे लडु महएवित्तणु इय तउ करेवि लहेवि अमरत्तणु तइयए भव सव-पउ पावसहि मा महु वयणे भंति करेसहि णिसुणेवि तित्थणाह-रंजिय-गुण मिहो पाए लग्ग पमुइय-मण
घत्ता एत्तहिं पणवेवि जिण-चलण-जुय णारी-यण-जण-सारी। केसव-पिय छट्ठिय णिय-भवई पुणु पुच्छइ गंधारी ।
[१४] भणइ भडारउ सु एम णिसण्णहिं णिय-भवंतराइं आयण्णहि भरह-खेत्ते कोसल-विसयंतरे विणयाउरि वण-सहल-णिरंतरे रुद्ददासु तहिं सेट्ठ रसावइ (?) वियसिय-कमल-वयणु णं भावइ विणयसिरि त्ति भज्ज सु-महुर-सरे पिय-सह गय सिद्धत्थ वणंतरे सिरिहर-मुणिहे दाणु तहिं देप्पिणु मुक्केवि संचिउ समए मरेप्पिणु णिय-पुण्णेण जाय उत्तर-कुरु- णाहु मरेवि कहि-मि जायउ सुरु पल्ल-त्तय भुजेवि रुइ-रुंदहो चंदमई पिय हूई चंदहो पुणु इह जंवूदीव-मज्झंतरे भारह-खेत्तहो खयर-महीहरे ८ उत्तरसेढिहिं णहवल्लह-पुरे विज्जुवेअ-विज्जुमइहिं पिहुसिरि उच्छिणि(?)-णाम पुत्ति उप्पण्णिय जय-पिय वल्लह-हाडय(?) वण्णिय णिच्चालोय-णयरे णिव-चंदहो सुच्छाहें दिण्णिय माहिंदहो
घत्ता संपाइए गिहे चारण-जुअले देवि दाणु णिसुणेवि गुरु-भासिउ। णंदणु हरिवाहणु पए ठवेवि तहो पय-मूले उण वासिउ (?)॥
ताए सुहद्दज्जिय-पयमूलए सव्व-भव्व-उववास-विहाणे जाय सुहम्मेसहो मण-वल्लह
लइय दिक्ख मण-तुह-पडिकूलए जिणु सुमरंतिए चत्तिय-पाणे पढम-सग्गे अच्छरयण-दुल्लह
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