Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
View full book text ________________
णवइवइमो संधि
घत्ता मणि-रयणई कंचण-फलिहमय णिम्मविय तिण्णि पायार। सुरधणु-सुरगिरि-तुहिणगिरि थिय णावइ वलयाकार ॥
थामे थामे णिरवजई कम्मई थामे थामे अवलंविय दामइं थामे थामे कल-कोइल-कलयलु थामे थामे मलयाणिलु सीयलु थामे थामे वल्ली-वण-जालई महुयरि-महुयर-गीय-वमालई थामे थामे पंकयई स-भमरई थामे थामे घड-दप्पण-चमरई थामे थामे मणि-कंचण-सारइं सीह-मयर-करि-तोरण-दारई थामे थामे धय-चित्त-वडायउ थामे थामे वाविउ सच्छायउ थामे थामे खाइयउ विचित्तउ थामे थामे दीहियउ विचित्तउ थामे थामे परिपुण्ण-जलोहउ पुक्खरिणिउ अच्चंत-सुसोहउ थामे थामे सुर-किण्णर-गेयई थामे थामे पेक्खणइं अणेयई
घत्ता थामे थामे थाणंतरइं गंधउडी-गोउर-थूहई। पुंजीकयई पयावइण जंजिणवर-पुण्ण-समूहई।
१०
इंदणील-मणि-पह-पन्भारें सूरकंत-मणि-किरण-किलामिउ समवसरणु केहि-मि सामण्णेहिं वाया-विहवु कहो एवड्डउ वयणुवइत्तणु जइ पर फणिवरे णिव्वुइ पर पउलोमी-कंतहो
अलि णच्चंति णवर झंकारें वोलइ कह-वि भाणु ओहामिइ दुक्खु सम्मु च विजइ अण्णेहिं जीहउ जाहं महीहर-जड्डउ जीह-सहासु जासु मुह-कंदरे णयण-सहासु जासु जोयंतहो
घत्ता
अह किं वहुणा वित्थरेण तइलोक्कु सव्वु जइ आवइ। तो एक्कहिं जे गवक्खडए को केत्तहिं थियउ ण णावइ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122