Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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रिट्ठणेमिचरिउ
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णिहि-रयण-चउत्थ-चउत्थ-भाउ चक्कवइ-अद्ध-अद्धाहिराउ परमाउ परिट्ठिउ पुव्व-कोडि अणुहारिएणं विहि तइया फोडि
घत्ता जेत्तडिय विहूइ णराहिवहो विहि महरिसिहि-मि तेत्तडिय मासावसाणे जं मरणु थिउ पर असुहच्छी एत्तडिय ॥
[२३] पक्खेवि रूवई सुह-दसणाई रिसि वंदिय दिण्णइं वइसणाई एहु पभणइ पुलउब्भिण्ण-देहु महु तुम्हहं उप्परि पोढु णेहु णवि जाणहुँ केण-वि कारणेण वोल्लिज्जइ जेट्टे चारणेण सुहे संगमे अवसें पीइ होइ णिय-भायर किं वीसरइ कोइ तुहुं विंझ-राउ तोणीर-धीर एहु रिसि वग्गुर तउ तणिय णारि तुहुं इब्भकेउ एहु मंति तुज्झु हउं कमलाएवि कलत्तु तुज्झु विण्णि-वि देवत्तणु तवेण पत्त एकंवुहि णिवसेवि पडिणियत्त तुहुं चिंतागइ हउँ चित्तवेउ एहु विहिं लहुयारउ चवलवेउ पियसुंदरि अवसरे लइय दिक्ख माहिंद-विमाणहो दिण्ण विक्ख सत्तंवुहि णिवसेवि एत्थु आय रिसि अम्हहुं तुहुं मंडलिउ राय
घत्ता अह किं वहु-वाया-वित्थरेण जं जाणहि तं तुहुं करहि । रक्खिज्जइ जइ-वि पुरंदरेण तीसमए दियहे तुहुं मरहि ।।
[२४] गय कहेवि महा-रिसि अंवरेण सीहउर-णयर-परमेसरेण जिणवर-पडिमउ अहिसिंचियाउ अट्ठाहिउ कमलेहिं अंचियाउ सुउ रज्जे पियंकरु थवेवि भव्वु धणु दीणाणहहं दिण्णु सव्वु वावीस-दिवसु सण्णासु करेवि संथार-सयण-मरणेण मरेवि सोलहमए सग्गे सुरिंदु जाउ वावीस-महण्णव-सेवियाउ कुरुजंगले करि-पुरे पवर-वीरु सिरिमइ-सिरिचंदुब्भव-सरीरु णामेण णराहिउ सुप्पइडु महि पालइ णिव वइसणे वइडु
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