Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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छण्णवइमो संधि
३५
[११] तिण्णि-वि रहवरेहिं तिहिं चडिया सगहो सक्क तिण्णि णं पडिया सोलह-आहरणालंकरिया तिण्णि-वि विजु-पुंज णं फुरिया तिण्णि-वि णिग्णय पच्छिम-वारें हय-गय-रह-णरिंद-पब्भारें सिगिरि-धयवड-चामर-सोहें चलिया पालिद्धय-संदोहें काहल-संख-मुइंग-णिणदें मागह-सूय-वंदि-जय-सदें जोइय चउ-दुवार दारावइ धणय-णयरि आवासिय णावइ दिट्ठइं णंदण-वणइं विचित्तई पण्ण-फुल्ल-साहाराइत्तई दिट्ठ समुदु तरंग-तरंगेहिं णच्चिउ णं कल्लोल-वरंगेहिं
छत्ता
महु तिण्णि-वि आइय पाहुणइं वलु णारायणु तित्थयरु । मणि-रयण-महग्घ-विहत्थउ णं थिउ अग्गए मयरहरु ।
[१२] परिभमंत गय तिण्णि-वि तेत्तहे कंचण-मंचेहि थिउ जणु जेत्तहे दिट्ठउ जुवइउ जोव्वणइत्तिउ णं सीयालए दिणयर-दित्तिउ सव्वाहरण-विहूसिय-देहउ णं फुरमाणउ ससहर-लेहउ कूर-पिक्क-विंवा इव वालउ सव्व-जुवाण-जणाणिय-लालउ णं अहिणव-विज्जउरछल्लिउ(?) णिसिय णाई मयरद्धय-भल्लिउ दिट्ठउ णर-विजाहर-दुहियउ पुण्णिम-इंदु-मणोहर-मुहियउ ताहि-मि दिट्ठ भडारउ एंतउ दस-विह कामावत्थउ देंतउ हरि दक्खवइ देव तुहारी दीसइ उह राइमइ भडारी
४
घत्ता
णव-जोव्वणु णाह तुहारउ मणहरु एहु कलत्तडउ। सुहि अम्हई वल-णारायण फलु संसारहो एत्तडउ ।
तो जाणिय-परमागम-सारे वय-विट्टतरे मुक्ककंदहो
विविह-णिरिक्खण-णेमि-कुमारे सद्दु सुणिज्जइ वणयर-विंदहो
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