Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 46
________________ छण्णवइमो संधि ३७ अज्जु समुद्दविजय-सिह भग्गी अज्जु जाय महु मही आवग्गी ताम णेमि-किय-कारिय-सेवहिं पडिवोहिउ लोयंतिय-देवहिं साहु साहु चिंतविउ महत्तरु एउ णिरवज्जु कज्जु लोगुत्तरु पिय-हिय-वयणु जणिय-जण-उवसमु एवहिं वहउ तित्थु वावीसमु घत्ता मेल्लाविय जीव जिणिंदें तिह वुच्चइ तहुं आरक्खियहुं । धणु दिण्णु सयं भुव-दंडेहिं दीणाणाहहुं दुक्खियहुं॥ ८ इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-संयभुएव-कए छण्णवइमो सग्गो॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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