Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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३४
रिट्ठणेमिचरिउ
अण्णहिं वासरे णयणाणंदिरे खेड भमाडिय मंदिरे मंदिरे लेंतु पसाहणाई णर-णारिउ रय-विलासु विलसंतु कुमारिउ पेक्खणाई दावेंतु सु-वेसउ जिह विजुलउ फुरंतु असेसउ कंचण-मंचेहिं ठंतु पहाणा जे विवाह-संबंधिय राणा अक्खिउ जेवं तेवं संसारिउ किउ तासु-वि वड्डियउं णिरारिउ थामे थामे तोरणइं णिवद्ध थामे थामे गेयई पारद्धई थामे थामे थिउ णायरिया-यणु का विहि पेक्खेसहुंणारायणु का विहि णेमि-रूउ जोएसडं भव-किय-दुक्किएण मुच्चेसहुं
पत्ता पवणुद्धय-धय-मालाउल णिएवि मणोहर वारवइ । का विहि कुमारु घरु एसइ थिय पसाहणे राइमइ ।
[१०] दविड-कण्णाडि-अंधीहिं परिवारिया कामएवेण णिय रइ व संचारिया भूरि-परिभमिर-भमरोह-झंकारिया सग्ग-भट्ठच्छरा इव्व ओयारिया सक्क-रायग्ग-महिसी-समुप्पण्णिया रूव-सोहग्ग-लायण्ण-संपण्णिया हार-केऊर-कंची-कलावंकिया णव-तुलाकोडि-मणि-कुंडलालंकिया ४ सिग्गिरी-छत्त-पालिद्धओहाउला णाह-कर-मेलणा मयण-उक्कंठुला पत्त सत्तट्टमी-वम्महावत्थिया णिमिय-पडिमालणा-सार-असमत्थिया तिव्व-विरहग्गि-जाला-पलित्तंगिया कमल-कंकेल्लि-णव-पल्लवालिंगिया चंदणद्दद्द-कद्दम-जलद्दोल्लिया चामरुक्खेव-पड-वायण-रंखोल्लिया ८
घत्ता तहिं अवसरे पुर-वाहिरे कलयलु वहलु समुच्छलिउ। हरि-हलहर-णेमि-भडारउ विहव-णिहालउ उच्चलिउ ।।
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