Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
View full book text ________________
८
चउणवइमो संधि वडंतरेण सउरि-वड्डेरउ मयरकेउ ईसेस-खरेरउ पुणु अणिरुद्ध दिडु सो जुज्जइ जसु लायण्णे को-वि ण पुज्जइ जसु सोहागु ण लंघिउ कामें झिज्जइ कुसुम-वाणु जसु णामें णिरलंकारु में होतउ सोहइ जइ मंडिउ तो तिहुयणु मोहइ
पत्ता लद्धावसरए णहयरिए णिउ हरेवि अणंगहो णंदणु । वाणंगरुहहे मेलविउ रुप्पिणिहे जहासिउं जणद्दणु ॥
[८] जाम तेत्थु अणिरुद्ध विवुज्झइ ताम णवल्लु सव्वु णउ वुज्झइ कण्णा-रयणु तिलोय-सुहंकरु दिव्व-तूलि-पल्लंकु मणोहरु घरु माणिक्क-सहासेहिं जडियउ तुट्टेवि सग्ग-खंडु णं पडियउ मणि-माणिक्क-टिक्क-कर-रंजिउ । कुवलय-दल-रसेण सम्मज्जिउ लंवियाइं सिय-मोत्तिय-दामई पउमराय-मणि-गुच्छ-पगामइं कंचण-दीविएहिं रविकंतई सयल-काल अच्छंति वलंतई सयल-पणालिएहिं ससिकंतई रत्ति-दिवसु अच्छंति झरंतइं मणे उप्पण्णु चोजु तहो वालहो जम्माउब्बु दिहु वहु-कालहो
घत्ता दिडु कुमारि णारि-रयणु रणरणउं जणइ जं अंगहो। ललिउ सुहावउं कोमलउं णं मोहणु दिण्णु अणंगहो।
विण्णि णिएवि परोप्परु रूवई किउ परिणयणु अग्गि पज्जालेवि णिरुवमु अहर-पाणु पारंभइ धाइय वंध-करण-सर-करणेहिं णह-लेहण-सिक्कार-वियारेहिं रमियई ताम जाम रवि उट्ठिउ आइउ चित्तलेह तहिं अवसरे
अमिय-रसेणातित्तीभूयई खणु-वि ण सक्कियाई पडिवालेवि रइ-रस-वस अणंगु पवियंभइ भावालिंगण-चुंवण-वरणेहिं अण्णेहि-मि अण्णण्ण-पयारेहिं विहि-मि पड्डियाउ परितुट्ठउ सहि एवहिं उपाउ को वासरे
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122