Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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रिट्ठणेमिचरिउ जेत्तहे रमइ दिट्टि सो तेत्तहिं णीलु जेम दीसइ सव्वत्तहिं रहे रहे तुरए तुरए गए गयवरे धए धए छत्ते छत्ते णरे णरवरे का-वि अउव्व भंगि तहो केरी किय स-कण्ण वाहिणि विवरेरी तो सोणीपुर-वर-परमेसरु झत्ति पलित्तु णाई वइसाणरु देवावियइं असेसई तूरई रसियई तडि-घण-कुलई व कूरइं ८
पत्ता वहु-रहु वहु-गउ वहु-तुरउ वहु-वाहु वहु-जल-पहरणु। वाण-णराहिउ णीसरिउ णं मेरु फुरिय-तारायणु ।।
[१४] तेण जणद्दण-णंदण-णंदणु अणिक्कअ-भिच्चु अणासु अ-संदणु परिवेढाविउ णरवर-विंदेहिं रहवर-पवर-तुरंगम-गइंदेहिं णं पंचाणणु हरिण-सियालेहिं णं दिवसयरु महाघण-जालेहिं णं खगवइ विस-विसम-भुवंगेहिं णं परम-रिसि परीसह-संगेहिं एक्क-किवाणु एक्क-वसुणंदउ णं णव-मेहु स-विजुल-चंदउ हम्मइ हणइ वणइ ण वणिजइ पर-वलु जिणइ णं केण-वि जिज्जइ वियरइ वलइ धाइ पडिपेल्लइ अ-मुअ अराइ कयाइ ण मेल्लइ सरवर-णियर णिवारिय खगें खगवइ फणि जिह चंचू-मग्गे
घत्ता कालदंडु जिह पडइ सिरे विजुल जिह कहि-मि ण संठइ। पीडइ अट्ठमु चंदु जिह संमुहउ सुक्कु जिह उट्ठइ॥
[१५] तहिं अवसरे हउं आयउ एत्तहो तुम्हइं वल-नारायण जेत्तहो एउ ण जाणहुं वइरि-णिरुद्धहो का होसइ अवत्थ अणिरुद्धहो केसव-कामपाल कुढे लग्गा गरुड-सीह-वाहिणिहिं वलग्गा मयरकेउ णिय-विजापाणे चलिउ णहंगणे पवर-विमाणे तिण्णि-वि रहसें कहि-मिण माइय वेय१त्तर-सेणि पराइय एक्कहिं मिलिय चयारि-वि सज्जण णं हरि-हर-वम्भाण-णिरंजण
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