Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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२६
रिट्ठणेमिचरिउ
तहिं अवसरे णेसरु अत्थमिउ अइ-दीहर-णह-पह-परिसमिउ णं जलणिहि-दहे दडत्ति पडिउ उडु-गणु सीयर-णियरु व चडिउ दस-दिसिहिं पधाइय तिमिर-छवि सूर-क्खए कहो अंधारु ण-वि वाहरिय परिट्ठिय जामिणिहिं आवाणउ किज्जइ कामिणिहिं दुमे दुमे अंदोलइ तरुणियणु महु पिज्जइ गिजइ महुमहणु तो चंदहो एक्क-कलुग्गमिय णं णह-वहु णह-वय-सोह थिय तले रइयई कुसुमत्थरणाई दिण्णइं पल्लव-उवहाणाई दंपत्तिई सुत्तई विब्भमेहिं गय सयल रत्ति रय-परिसमेहिं
घत्ता उग्गउ ताम रवि जइ रयणि णवि हरि-काय-कंति-तम-ढक्कियइं। रयइं पसत्ताइं असमत्ताइं उग्घाडीकरेवि ण सक्कियइं॥
[१४] तो वण-विहारु पारंभियउ णर-णारि-णियरु पवियंभियउ क-वि केण सहु पयट्ट धणिय वण-हत्थि-गुत्त णं हत्थिणिय क-वि कहो-वि देइ मुह-मंडणउं क-वि कहो-वि देइ अवरुंडणउं क-वि कंपि रमेवउं सिक्खवइ क-वि कासु-वि णह-वय दक्खवइ ४ क-वि कासु-वि चुंवइ मुह-कमलु तंवोल-वहल-परिमल-वहलु ढिल्लारउं करेवि पइंधणउं . णं दावइ सव्वसु अप्पणउं काहे-वि केण-वि सहु रूसणउं क-वि करइ दूइ-संपेसणउं क-वि कहो-वि पउंजइ अणुणयणु गय का-वि स-णाह लया-भवणु ८
पत्ता णिएवि स-णेउरई अंतेउरई पल्लव-फल-फुल्ल-गहण-मणइं । वड्डिय-मुह-रसई कररुह-वसई णं वामणिहोएवि थियई वणइं॥९
_ [१५] मुहु णिएवि सवत्तिहे रत्तियहे क-वि काहे-वि कहइ महंतियहे मई काई हयासए जीवियए विरहाणल-जाला-लीवियए
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