Book Title: Ritthnemichariyam Part 4 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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पंचाणवइमो संधि
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घत्ता एवं पहाणएहिं तहिं राणएहिं बहु-कालेहिं लद्ध-सुसेवयहो। कडिएहिं कंठएहिं पडितुट्टएहिं किय पुज्जा णाई पह-देवयहो।
[११] तओ तेहिं दिट्ठो गिरी उज्जयंतो करिंदु व्व चंदक्क-घंटा धुणंतो णरिंदो व्व दो-दप्पणे पेच्छमाणो महा-इंदणील-प्पहा-लिजमाणो दिणे सूरकंतग्गिणा पज्जलंतोणिसा-चंदकंतंवुणा पज्झरंतो तमालेल-कंकोल-कंकेल्लि-रिद्धो सुणासीर-णारी-रयंता-सुविद्धो दुरेहावली-कोइलालाव-रम्मो लया-मंडवोच्छाहिउच्छिण्ण-घम्मो समुत्तुंग-सिंगग्ग-लग्गंत-रिक्खो गुहा-गुत्ति-अंधारिया-दुण्णिरिक्खो पभिण्णेभ-दाणेण पक्खालियंगो विहंगावली-सेविओ भव्व-संगो महा-सिद्ध-खेत्तं पवित्तं पुराणं सिवादेवि-दायाय-कल्लाण-थाणं
घत्ता मोक्ख-दुअक्खलउ जगे अग्गलउ अमुणिज्जइ णिरुवमु केण किउ। हरेवि तिलोय-सिरि उज्जेत-गिरि मंडणउं सुरट्ठहो होवि ठिउ॥
- [१२] गिरिदेक्कदेसे विमुक्कं पयाणं जलं सीयलं जत्थ वालाहियाणं पडिग्गाहिया वल्लरी मंद-दक्खा वि-पासाविया वेस रुद्दक्ख-रुक्खा लइजंति ठाया ठविजंति हट्टा विमुच्चंति मंजूस-माणिक्क-पेट्टा वणिज्जोवजीवी पसारंति सव्वं जिणाकारणा तस्स तं देति दव्वं एहविजंति सुस्साम-कण्णा तुरंगा जलं ति तंवेरमा तिमिरयंगा णिहम्मति खुंटा तडिजंति दूसा पुरोवारिया कामिणी लेंति भूसा तरिजंति अण्णा सिडिंगेहिं पच्छा रविक्का-विगुप्पंतरि च्छुट्ट-कच्छा दरुम्मिल्ल-णाही-अहोहुत्त-देसा गलंतीसि-धम्मेल्ल-घोलंत-केसा
घत्ता दिण्णालिंगणउं पेल्लिय-थणउं अंगुलि-रय-लील-विलंवियउं । पाविय-सुह-रसउ मुच्छावसउ गंडयलेहिं णवर ण चुंवियउ॥
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