________________
[x]
पृष्ठ ३०० ३०१ ३०१ ३०४
२८८ २८८
विषय
पृष्ठ विषय करुणरस
------ -२८१- प्रकरी बीभत्स रस
२८२ पताकास्थानक भयानक रस
२८३ भरतानुसार लक्षण ग्रन्थकार का तुल्य बल वाले दो
कार्य (फल) रसों के साङ्कर्य विषयकविचार २८४ स्वरूप की दृष्टि से कथावस्तु परस्पर विरुद्ध रस का प्रतिपादन २८५ का विभाजन रसाभास
२८७ प्रधान कथावस्तु शृङ्गाराभास
२८८ अङ्ग (प्रासङ्गिक) कथावस्तु हास्याभास
२८८ अङ्ग कथावस्तु के भेद वीराभास
२८८ बीजादि का सनिवेश क्रम अद्भुताभास
२८८ कार्य की पाँच अवस्थाएँ करुणाभास
आरम्भ बीभत्साभास
यत्न भयानकाभास
२८८ प्राप्त्याशा शृङ्गाराभास के भेद
२८८ नियताप्ति तिर्यग्राग से रसाभास-विषयक
फलागम विद्याधर का मत
२९३ सन्धि शिङ्गभूपाल का मत
२९३ सन्धि के भेद
मुखसन्धि तृतीय विलास मुखसन्धि के अङ्ग नाट्य शब्द की व्युत्पति २९७ उपक्षेप रूपक शब्द की निष्पत्ति २९७ परिकर नाट्य के प्रकार (भेद)
__ परिन्यास रूपक के भेदक तत्त्व २९७ विलोभन इतिवृत्त का निरूपण २९८ युक्ति कथावस्तु का विभाजन २९८ प्राप्ति फल की दृष्टि से कथावस्तु
समाधान का विभाजन
२९८ विधान बीज
परिभावना बिन्दु
२९९ उद्भेद पताका
२९९ भेद
३०५ ३०५ ३०५ ३०६ ३०६ ३०६ ३०६ ३०६ ३०७ ३०७ ३०७ ३०८ ३०८
०
الله الله الله الله الله الله
२९७
or
३११ ३१२ ३१३
الله له سه له سه له سه سه
or
२९८
or
३१४ ३१५