Book Title: Rasarnavsudhakar
Author(s): Jamuna Pathak
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Series

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Page 13
________________ [viii] विषय पृष्ठ २१० प्रेमा मान प्रणय स्नेह स्नेह के प्रकार प्रौढ़ स्नेह मध्यम स्नेह मन्दस्नेह राग राग के भेद कुसुम्भराग नीलीराग माञ्जिष्ठ राग अनुराग हास उत्साह विस्मय क्रोध शत्रुविषयक क्रोध में चेष्टाएँ भृत्यविषयक क्रोध में चेष्टाएँ मित्रविषयक क्रोध में चेष्टाएँ पूज्यविषयक क्रोध में चेष्टएँ शत्रुविषयक क्रोध में चेष्टाएँ रोष स्त्रीगोचर पुरुष का रोष पुरुषगोचर स्त्री का रोष सपत्नी-हेतुक रोष अन्य हेतुक रोष शोक उत्तम व्यक्ति का शोक मध्यम व्यक्ति का शोक पृष्ठ विषय २०९ नीच व्यक्ति तथा स्त्री का शोक २२९ जुगुप्सा २३० २१० भय २३१ २११ भयविषयक सङ्गीतरत्नाकर का मत २३४ २१२ सङ्गीतरत्नाकर के मत का खण्डन २१२ और अपने मत का प्रष्ठिापन २३४ २१३ भोज के मत में गर्व, स्नेह, धृति २१३ और मति का स्थायीभावत्व २३६ २१५ स्नेह के स्थायीभावत्व का २१५ निराकरण २३७ २१५ अन्य गर्व, धृति और मति के २१५ स्थायिभावत्व का खण्डन २३७ २१६ गर्व के स्थायिभावत्व का निराकरण २३८ २१६ धृति के स्थायिभावत्व का निराकरण २३९ २१७ मति के स्थायिभावत्व का निराकरण २४० २१८ रसनिरूपण २४१ २२० काव्य अथवा नाटक में रस २४४ २२१ रस के प्रकार २४५ २२१ ।। विषम से समसङ्घयक रस २२२ की उत्पत्ति २४५ २२३ शृङ्गार रस के प्रथम निरूपण २२३ का कारण २४५ २२४ शृङ्गार रस २४५ २२५ शृङ्गार के भेद २४५ २२५ विप्रलम्भ शृङ्गार २२६ विप्रलम्भ शृङ्गार के प्रकार २४६ २२६ पूर्वानुराग २४६ २२६ पूर्वानुराग का स्वरूप २४७ २२७ पूर्वानुराग के प्रकार २४८ २२७ पूर्वानुराग की दश अवस्थाएँ २४९ २२८ . अभिलाष २४९ २४५

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