Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Author(s): Mithalal Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११ वाली हानियों का वर्णन और उनसे बचने के उपाय तथा प्रा." चीन औरस मयोचित नवीन सुरीतियों के गुणों का वर्णन और उनसे लाभ उठाने के उपाय-इत्यादि। (१०) मिश्र भाग-इस में जाति के उपयोगी अन्यान्य अनेक विषयों का वर्णन-इत्यादि इत्यादि । (३) पुस्तक बनाने के लिये मुख्य साधन विचार करनेसे निश्चय हुआ कि ऐसी परम उपयोगी पुस्तक बनाने के लिये जिन२ साधनों की आवश्यकता हैं उनमें चारही साधन मुख्य हैं । (१) तो पुराण आदि शास्त्रों की क. थाएं,.(२) भाटों व तीयों पर के पण्डों आदि की बहिये, शकरमण सेवगों की कविताएं, तथा ढोली आदिकों के गीत, (३) प्राचीन इतिहास की पुस्तकें, व बहु श्रुत वृद्ध पुरुषों आदि की वार्साएं और (४) राजाओं के दिये हुये ता. म्रपत्र शिला लेख राज्यशासन पत्र प्रादि । यद्यपि ये माधन इस समय प्रायः लुप्तसे हो रहे हैं तथापि परिश्रम करने पर इन का एकत्र करना अन्यान्य लोगों की अपेक्षा पुष्करणों के लिये इतना दुर्लभ नहीं है। क्यों कि प्रथम तो यह जाति स्वयं सदा से विद्वान् व राजाओं के कथा व्यास पुस्तका ध्यक्ष आदि होने से पुराण आदि ग्रन्थ तो बहुधा इन्हीं के यहां से प्राप्त हो सकें. गे।* दूसरे यह जाति सदासे उदार भी होनेसे भाटों आदि की * इस ग्रन्थ कर्ता के पूर्वज भी विद्यानुरागी होनेसे उन्हीं के संग्रह किये हुये हमारे यहांके हस्तलिखित 'प्राचीन पुस्तकालय' में वेद, पुराण, धर्मशास्त्र, आयुर्वेद, धनुर्वेद, शिल्पशास्त्र (असली विश्वकर्मा संहिता आदि), ज्योतिष् व्याकरण, मन्त्रशास्त्र, पदार्थ विद्या, तथा प्राचीन इतिहास आदि की कई पुस्तकें विद्यमान हैं। For Private And Personal Use Only

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