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सन्ध्या
प्राकृत व्याकरण कञ्चुओ, कंचुरो
कञ्चकः लञ्छणं, लंछणं
लाञ्छनम् व्यञ्जिअं, वंजिअं
व्यञ्जितम् सञ्झा, संझा ट, ठ, ड, ढ के पर में जैसेकण्टओ, कंटो
कण्टकः उक्कण्ठा, उत्कंठा
उत्कण्ठा कण्डं, कंडं
काण्डम् सण्ढो, संढो
षएढः त, थ, द, ध के पर में जैसेअन्तरं, अंतरं
अन्तरम् पन्थो, पंथो
पन्थाः चन्दो, चंदो
चन्द्रः बन्धवो, बंधवो
बान्धवः प, फ, ब, भ के पर में रहने पर जैसेकम्पइ, कंपइ
कम्पते वम्फइ, वंफइ
काङ्क्षति कलम्बो, कलंबो
कलम्बः प्रारम्भो, आरंभो
आरम्भः विशेष:-(क) पर में वर्ग का अक्षर नहीं रहने से किंसुओं
और संहरइ में उक्त नियम लागू नहीं हुआ। (ख) प्राकृत के अन्य वैयाकरण उक्त नियम को वैकल्पिक न मान कर नित्य मानते हैं। ..