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प्रथम अध्याय
पअरो
प्रकारः पारो विशेष—कुछ घनन्त शब्दों में यह नियम लागू नहीं
होता । जैसे-राओ (रागः) इत्यादि। (६३) मांस जैसे शब्दों में अनुस्वार रहने पर (देखिए नियम १. ३६) आदि आकार का अत्व होता है जैसे-मंसं (मांसम् ) पंसू (पांशुः); पंसनो (पांसनः); कंसं (कांसम्); कंसिओ (कांसिकः); वंसिओ (वांसिकः); संसिद्धिो (सांसिद्धिकः); संजत्तिो (सांयात्रिकः) .
(६४) सदा आदि शब्दों में आकार का इकार आदेश विकल्प से होता है । इकार जैसे—सइ, तइ, जइ, णिसिअरो। इकार का प्रभाव जैसे—सपा, ता, जा, णिसाअरो (सदा, तदा, यदा, निशाचरः)
(६५) यदि आर्या शब्द श्वश्रु (सास) के अर्थ में प्रयुक्त हो तो 'य' के पूर्ववर्ती आकार के स्थान में ऊ होता है । जैसे-ऊज्जा (सास अर्थ), अज्जा (श्रेष्ठ अर्थ); (आर्या)।
(६६) मात्रट् प्रत्यय के आकार के स्थान में एकार विकल्प से होता है । एकार आदेश जैसे-एतिअमेत्तं । एकाराभाव जैसे-एतिअमत्तं (एतावन्मात्रम्)। विशेष-कहीं कहीं मात्र शब्द में भी आकार का एकार
होता देखा जाता है । जैसे-भोअणमेत्तं (भोजन
मात्रम्) (६७) संयोग से अव्यवहित पूर्ववर्ती दीर्घ का कभी-कभी इस्व रूप हो जाता है। जैसे-अंबं (आम्रम्); तंबं (वाम्रम्);