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प्राकृत व्याकरण
(२३) निश्चय, वितर्क, संभावना और विस्मय अर्थों में हुं और खु का प्रयोग किया जाता है। निश्चय में जैसे :-सो हु अन्नरओ ( यह निश्चित है कि वह दूसरी स्त्री में रम गया है । ), तुमयं खु माणइत्ता ( यह निश्चित है कि तुम मानवती हो । ); वितर्क और संभावना अर्थों में जैसे :तस्स हु जुग्गा सि सा खु न तं ( मैं ऐसा अंदाज करता हूँ
और यही संभव भी है कि वह दूसरी स्त्री उसके योग्य है और तुम उसके प्रियतम के योग्य नहीं हो । ); विस्मय अथ में जैसे :--एसो खु तुझ रमणो ( आश्चर्य है कि यह तुम्हारा रमण है । ) कुमा. पा. ४. १२
(२४) गर्दा, आक्षेप, विस्मय और सूचन अर्थों में ऊ का प्रयोग किया जाता है । गर्यो में जैसे :-तुझ ऊ रमणो ( तुम्हारा निन्दित रमण ); आक्षेप में जैसे :-ऊ किं मए भणिों ( अरे मैंने क्या कह डाला ? ); विस्मय अर्थ में जैसे :-ऊ अच्छरा मह सही ( अहो, मेरी सखी अप्सरा है ); सूचन अर्थ में जैसे :-ऊ इअ हसेइ लोओ (तुम्हारे प्रियतम को दोष दे-देकर सखियाँ हँसती हैं ।) कुमा. पा. ४. १३.
(२५) कुत्सा अर्थ में 'थू' अव्यय का प्रयोग किया जाता है । जैसे :-थू रे निकिट्ठ कलहसील ( अरे अधम, झगड़ाल, तुझे थू है ! )
(२६) 'रे' और 'अरे' क्रमशः संभाषण और रतिकलह अर्थों में प्रयुक्त होते हैं। संभाषण अर्थ में जैसे :-रे हिअय