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जन
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प्राकृत व्याकरण रुध
उत्थव या उत्तङ्घ । पक्ष में रुन्ध नि+सिध हक्क | पक्ष में निसेह ऋध
जूर | पक्ष में कुज्झ जा, जम्म
तड, तड्डु, तडव, विरल्ल और तण तृप्त
थिप्प उप+मृप
अल्लिअ | पक्ष में उवसप्प सं+तप
झंख | पक्ष में संतप्प वि+आप
ओअग्ग। पक्ष में वाव सं+आप
समाण | पक्ष में समाव क्षिप
गलत्थ, अडुक्ख, सोल्ल, पेल्ल, णोल्ल, छुह,
हुल, परी, धत्त । पक्ष में खिव उद्+क्षिप' गुलगुञ्छ, उत्थंघ, अल्लत्थ, उन्भुत्त,
उस्सिक, हक्खुव | पक्ष में उक्खिव आ + क्षिप णीरव | पक्ष में अक्खिव स्वप
कमवस, लिस, लोट्ट | पक्ष में सुञ्ज वेप
आयम्ब, आयज्झ | पक्ष में वेव वि+ लप
झंख, वडवड | पक्ष में विलव लिप
लिम्प गुप
विर, णड | पक्ष में गुप्प कृप
अवहाव' प्र+दीप तेअव, सन्दुम, सन्धुक्क, अन्भुत्त और
पक्ष में पलीव संभांव | पक्ष में लुब्भ
खडर, पड्डुह । पक्ष में खुम्भ १. अवहावेइ = कृपां करोतीत्यर्थः । हेम० ४. १५१.
लुम क्षुम