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जम्भ
गम
षष्ठ अध्याय
१३५ आ+रभ
आरंभ, आढव | पक्ष में आरभ उप, आ + लंभ झंख, पञ्चार, वेलव | पक्ष में उवालम्भ
जम्मा नम
णिसुढ' । पक्ष में णव वि + श्रम णिव्वा | पक्ष में वीसम आ+क्रम
ओहाव, उत्थार, छन्द | पक्ष में अक्कम भ्रम
टिरिटिल्ल, दुण्दुल्ल, ढण्ढल्ल, चकम्म, भम्मड, भमड,भमाड,तलअएट, झण्ट, झम्प,भुम, गुम, फुम, फुस, ढुम, दुस, परी, पर, भम अई, अइच्छ, अणुवज्ज, अवज्जस, उक्कुस, अक्कुस, पञ्चड्ड, पच्छन्द, णिम्मह, णी, णीण, णीलुक्क, पद रंभ, परिअल्ल, वोल, परिअल, णिरिणास, णिवह, अवसेह, अवहर, गच्छ, अहिपच्चुअ, अभिड, संगच्छ, उम्मत्थ, अब्भागच्छ, पलोट्ट पञ्चागच्छ पडिसा, परिसाम | पक्ष में सम संखुडु, खेड्डु, उब्भाव, किलिकिञ्च, कोटुम,
मोट्टाय, णीसर, वेल्ल और पक्ष में रम १. वि पूर्व में रहने पर उक्त आदेश नहीं होते हैं । देखो-'अवेर्जुम्भो जम्भा ।' हेम० ४. १५७ में अवेरिति किम् ? केलिपसरो विम्भइ ।
२. भाराकान्त कर्ता में। ३. भार पूर्वक गम का उक्त आदेश होता है। ४. सम् पूर्वक गम का उक्त आदेश होता है। ५. अभि और श्राद पूर्वक गम का उक्त आदेश होता है। ६. प्रति और श्रान पूर्वक गम का उक्त आदेश होता है।
शम
रम