Book Title: Prakrit Vyakaran
Author(s): Madhusudan Prasad Mishra
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 319
________________ संस्कृत साहित्य का इतिहास (बृहत् संस्करण) श्री वाचस्पति गैरोला इस ग्रन्थ को लिखते समय यह ध्यान रखा गया है कि पाठक परम्परा और पूर्वाग्रह के मोह में न पड़कर प्रत्येक विवादग्रस्त प्रश्न का समाधान स्वयं कर सकें। पाठक पर अपने विचार लादने की अपेक्षा उपयुक्त यह समझा गया है कि विभिन्न मतवादों की समीक्षा करके वह स्वयं ही विषय के सही ध्येय को ग्रहण कर सके। भारतीयता या विदेशीपन का पक्षपात त्याग कर किसी भी विद्वान् के स्वस्थ और सही विचारों को उधार लेने में सङ्कोच नहीं किया गया है। पुस्तक की विषय-सामग्री और उसकी रूप-रेखा का गठन भी ऐसे ढङ्ग से किया गया है, जिससे संस्कृत भाषा की आधारभूत भावभूमि का परिचय प्राप्त होने के साथ-साथ सम-सामयिक परिस्थितियों । का भी अध्ययन हो सके । आर्यों के आदि देश एवं आर्य भाषाओं के उद्भव से लेकर उन्नीसवीं सदी तक की सहस्राब्दियों में संस्कृत-साहित्य की जिन विभिन्न विचार-वीथियों का निर्माण हुआ और भारत के प्राचीन राजवंशों के प्रश्रय से संस्कृत भाषा को जो गति मिली, उसका भी समावेश पुस्तक में देखने को मिलेगा। मूल्य २०-०० प्राप्तिस्थानम्-चौखम्बा विद्याभवन, चौक, वाराणसी-१

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