________________
११८
प्राकृत व्याकरण (४) अकारान्त आत्मनेपदी धातुओं के प्रथम-मध्यम पुरुषों के एकवचन के स्थान में क्रमशः 'ए' और 'से' आदेश विकल्प से होते हैं । जैसे :-तुवरए ( त्वरते ); तुवरसे (त्वरसे)
(५) अदन्त धातु से 'मि' के पर में रहने पर पूर्व के 'अ' का आत्व विकल्प से होता है। जैसे :-हसामि, हसमि इत्यादि ।
(६) अकारान्त धातु से 'मो' 'मु' और 'म' पर में रहें तो पूर्व के अकार के स्थान में 'इ' और 'आ' होते हैं। कहीं कहीं ए भी होता है। जैसे :-हसिमो, हसामो, हसेमो; हसिमु, हसेमु इत्यादि । वर्तमान में अकारान्त भण धातु के रूप :
एकवचन बहुवचन प्रथम पु० भणइ, भणए । भणन्ति, भणन्ते. भणिरे मध्यम पु० भणसि, भणसे भणह, भणित्था उत्तम पु० भणामि, भणमि भणामो, भणिमो, भणेमो इत्यादि
विशेष-यों ही हस और पठ आदि सभी अकारान्त धातुओं के रूपों को जानना चाहिए | केवल अस धातु के रूप विशेष नियमानुसार सिद्ध होते हैं। वर्तमान में अस धातु के रूप :
एकवचन बहुवचन प्रथम पु० अच्छइ, अत्थि अच्छंति, अत्थि मध्यम पु० सि, अच्छसि,अस्थि अस्थि, अच्छित्था, अच्छह उत्तम पु० म्हि, अस्थि, अच्छामि म्हो, म्हा, इत्यादि