________________
प्राकृत व्याकरण
सप्तमी
एकवचन
बहुवचन सव्वस्सि, सव्वम्मि, सव्वत्थ, सव्वेसु, सव्वेसुं
। सव्वहिं संबोधन हे सव्व, सव्वो
सम्वे स्त्रीलिङ्ग में सर्व शब्द के रूप आदन्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के समान तथा नपुंसक में सर्व शब्द के रूप अदन्त नपंसक लिङ्गवाले शब्दों के समान चलते हैं। __विश्व आदि सर्वादिगण के शब्दों के रूप इसी सर्व शब्द के रूपों के समान चलते हैं।
विशेष-अपभ्रंश में सर्व के स्थान में साह आदेश होता है। अदन्त सर्वादि से पर में आनेवाले सि का 'हां' आदेश होता है । ङि के स्थान में केवल हिं आदेश ही होता है ।
पुंलिङ्ग में यद् शब्द के रूप :प्रथमा जो द्वितीया जं तृतीया जेण, जिण पञ्चमी जत्तो, जदो, जम्हा, जाओ जाहिंतो, जासुंतो, इत्यादि षष्ठी जस्स, जास
जाणं, जेहिं? सप्तमी जस्सि, जम्मि, जहिं, जत्थ जेसु
जेहि
१. अपभ्रंश में पुल्लिङ्ग में 'जासु' और स्त्रीलिङ्ग में 'जहे' होता है। . २. शौरसेनी में केवल जाणं और टक्कभाषा में 'जाहं' 'जाणं ये दो रूप होते हैं।
३ जब सप्तमी के एकवचन से समय का बोध कराना हो तब यद् शब्द का 'जाहे' और 'जाला' ये रूप हो जाते हैं।