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प्राकृत व्याकरण
दुःख का विना विचार किये ही प्रियतमा को छोड़ दिया ? ); निश्चय अर्थ में जैसे :- हन्दि मरणं ( मरना निश्चित है ); सत्य अर्थ में जैसे :- हन्दि जमो गिम्हो ( प्रीष्म यमराज है, यह बात सच है । ) कुमा, पा. ४. २.
(६) 'ग्रहण करो', 'लो' इस अर्थ में 'इन्द' और हन्दि अव्यय का भी प्रयोग होता है । जैसे :- हन्द महु हन्दि परिमल - मिमं (पुष्परस लो, यह गन्ध ग्रहण करो । ) कुमा. पा. ४. ३.
( ७ ) इव के अर्थ में मिव, पिव, विव, व्ब, व, विअ, इन अव्ययों का प्रयोग प्राकृत में विकल्प से होता है ।
मिव — जणणि मित्र ( माता के समान ) पिव-धूअं पिव ( पुत्री के समान ) विव-सोअरं विव ( सोदर बहन के समान ) व्व - साअरो व्व ( सागर के समान )
व - सहि व ( सखी के समान ) विअ -- नत्तिं विअ ( पौत्री के समान ) पक्ष में इव जैसे :
इव-मउडो इव
(८) लक्षण ( लक्ष्य करना ) अर्थ में जेण और तेण अव्ययों का प्रयोग होता है। जैसे :- जेण अहल्ला लवली ( विना खिली लवली को लक्ष्य करके ); फुल्लं च धूलिकम्बं तेण फुडा चेr गिम्हसिरी ( खिले हुए धूलि कदम्ब को लक्ष्य करके ग्रीष्म की शोभा स्फुट ही मालूम पड़ती है ।) कुमा० पा० ४.५.
( ६ ) अवधारण ( अन्ययोग व्यवच्छेद ) अर्थ में णइ, चेअ, चिअ और च अव्ययों का प्रयोग होता है । जैसे :
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