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चतुर्थ अध्याय
सर्वनाम शब्दों के साधन के नियम और रूप :
प्राकृत में सर्वनाम के संबंध में सामान्य नियम देखने में नहीं आते हैं। जो भी नियम देखने में आते हैं, विशेष स्थलों के लिए विशेष नियम हैं । केवल अदन्त सर्वनाम शब्दों की सिद्धि के लिए कुछ साधारण नियम हैं, जिनका नीचे उल्लेख हुआ है | अन्य विशेष नियमों का परिज्ञान उदाहरणों द्वारा ही सम्भव है । अदन्त सर्वनाम शब्दों के विषय में नियम ये हैं :
(४४) सर्वादिगण - पठित शब्दों के अन्तिम अ से पर में आनेवाले जस के स्थान में 'ए' आदेश होता है ।
विशेष – कहीं कहीं सर्वादि के प्रथम अ
एव होकर सेव्वे और सर्वे रूप होते हैं ।
एकवचन
प्रथमा सव्वो
द्वितीया सव्वं
तृतीया सव्र्वेण
पश्चमी सव्वदो, सव्वत्तो, इत्यादि
षष्ठी सव्वस्स
६५
का वैकल्पिक
( ४५ ) अदन्त सर्वादि से पर में आनेवाले 'आम्' के स्थान में 'एसिं' आदेश विकल्प से होता है । तथा 'ङि' के स्थान में 'स्सि', 'म्मि' और 'त्थ' ये आदेश होते हैं और इदम् तथा एतद् शब्दों को छोड़कर अन्य सर्वादि शब्दों से आनेवाले ङि के स्थान में 'हिं' आदेश भी होता है ।
पुँल्लिङ्ग में सर्व शब्द के रूप :
बहुवचन
सव्वे
सव्वे
सव्वेहिं सव्वेहितो, इत्यादि सव्वेसिं, सव्वाणं
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