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प्राकृत व्याकरण होते हैं । पुंलिङ्ग-नपुंसक लिङ्ग में षष्ठी के बहुवचन में केवल 'इमाणं' यह रूप होता है।
पुंलिङ्ग में किम् शब्द के रूप :
एकवचन
बहुवचन
के
प्रथमा द्वितीया कं तृतीया किणा, केण
केहिं पश्चमी कीणो, कीस, कम्हा, कत्तो, कदो केहिंतो इत्यादि षष्ठी कास, कस्स।
कास, केसिं, काणं र [ कहि, कस्सि, कम्मि, कत्थ, केसु इत्यादि
। काहे, काला, कइआ
विशेष-( क ) अपभ्रंश में किम् के स्थान में 'काई और 'कवण' आदेश विकल्प से होते हैं।
(ख ) स्त्रीलिङ्ग में 'का' और नपुंसक में 'कि' रूप होते हैं।
(ग) शौरसेनी में असि में 'कदो' और उसी विभक्ति में अपभ्रंश में 'कहाँ' रूप होते हैं।
(घ ) स्त्रीलिङ्ग में डस् के पर में रहने पर 'कस्सा' कीसे, किअ, कीआ, कीई, 'कीए' होते हैं। शौरसेनी में पुंल्लिङ्ग में 'कास' नहीं होता है। अपभ्रंश में पुंल्लिङ्ग किम् शब्द का ङस् में 'कासु' रूप होता है और स्त्रीलिङ्ग में 'कह।