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चतुर्थ अध्याय पुल्लिङ्ग में कुल इकारान्त, उकारान्त शब्दों के रूप गिरि और गुरु शब्दों के समान ही होते हैं।
हेमचन्द्र के अनुसार गुरु शब्द के रूप :एकवचन
बहुवचन प्रथमा गुरू
[ गुरू, गुरवो, गुरओ
। गुरउ, गुरुणो द्वितीया गुरूं
गुरू, गुरुणो तृतीया गुरुणा
गुरूहि-हि-हिं गुरुणो, गुरुत्तो, गुरुओ गुरुत्तो, गुरूओ, गुरूउ गुरुउ, गुरूहितो
गुरूहिंतो, गुरूसुंतो षष्ठी गुरुणो, गुरुस्स
गुरूण, गुरूणं सप्तमी गुरुम्मि
गुरूसु, गुरुसुं संबोधन गुरु, गुरू
गुरू, गुरुणो, गुरवो
गुरउ, गुरओ (२०) ऋकारान्त शब्दों के आगे किसी भी विभक्ति के आने पर अन्त्य ऋ के स्थान में 'आर' आदेश होता है और उसका रूप अदन्त शब्दों जैसा पाया जाता है। ___ (२१) सु और अम् को छोड़ कर शेष सभी विभक्तियों के पर में होने पर ऋकारान्त शब्द के अन्त्य ऋ के स्थान में विकल्प से उकार होता है । उत्व पक्ष में उकारान्त शब्दों के जैसे रूप होते हैं।
(२२ ) संबोधनवाले सु के पर में रहने पर ऋदन्त शब्दके अन्तिम ऋ के स्थान में 'अ' आदेश विकल्प से होता है !
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