Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तेरहवाँ परिणाम पद - अजीव परिणाम प्रज्ञापना
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तंजा - णिद्ध बंधण परिणामे, लुक्ख बंधण परिणामे य । समणिद्धया बंधो ण होइ, समलुक्खयाए वि ण होइ । वेमाय णिद्ध लुक्खत्तणेण बंधो उ खंधाणं ॥ १ ॥ णिद्धस्स णिद्धेण दुयाहिएणं, लुक्खस्स लुक्खेण दुयाहिएणं । णिद्धस्स लुक्खेण उवेइ बंधो, जहण्णवज्जो विसमो समो वा॥२॥ भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! बन्धनपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! बन्धनपरिणाम दो प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है- १. स्निग्ध बन्धन परिणाम २. रूक्ष बन्धन परिणाम ।
गाथाओं का अर्थ- सम (समान) गुण स्निग्धता होने से बन्ध नहीं होता है और सम (समान गुण) रूक्षता होने से भी बन्ध नहीं होता है । विमात्रा (विषम मात्रा) वाले स्निग्धता और रूक्षता के होने पर स्कन्धों का बन्ध होता है ॥ १ ॥
TÖKÖTŐK TÖKÖTŐHŐHŐTŐ
दो गुण अधिक स्निग्ध के साथ स्निग्ध का तथा दो गुण अधिक रूक्ष के साथ रूक्ष का एवं स्निग्ध का रूक्ष के साथ बन्ध होता है, किन्तु जघन्यगुण को छोड़ कर चाहे वह सम हो अथवा विषम हो॥ २॥ विवेचन - बंध परिणाम दो प्रकार का कहा गया है - स्निग्ध बंध परिणाम और रूक्ष बंध परिणाम । सम स्निग्ध और सम रूक्ष होने पर परस्पर बंध नहीं होता है किन्तु यदि परस्पर स्निग्धता और रूक्षता की विषम मात्रा होती है तब स्कन्ध का बंध होता है। आशय यह है कि समगुण स्निग्ध परमाणु . आदि का, समगुण स्निग्ध परमाणु आदि के साथ बंध नहीं होता और इसी तरह समगुण रूक्ष परमाणु आदि का समगुण रूक्ष परमाणु आदि के साथ बंध नहीं होता किन्तु यदि स्निग्ध स्निग्ध के साथ और रूक्ष रूक्ष के साथ विषम गुण वाला होता है तो विषम मात्रा होने से परस्पर बंध हो जाता है। यह विषम मात्रा एक गुण अधिक न होकर दो गुण अधिक, तीन गुण अधिक आदि होनी चाहिये। एक गुण स्निग्ध और एक गुण स्निग्ध का बंध नहीं होता, एक गुण स्निग्ध और दो गुण स्निग्ध का बंध नहीं होता, दो गुण स्निग्ध का बंध नहीं होता किन्तु दो गुण स्निग्ध और चार गुण स्निग्ध का बंध हो जाता है। स्निग्ध और रूक्ष का आपस में बंध तभी होता है जब दोनों जघन्य गुण न हों। जघन्य गुण से अधिक होने पर सम मात्रा में या विषम मात्रा में बंध हो सकता है जैसे दो गुण स्निग्ध और दो गुण रूक्ष का बंध होता है, दो गुण स्निग्ध और तीन गुण रूक्ष का बंध होता है ।
यहाँ पर टीकाकार जघन्य गुण का किसी के साथ भी बंध नहीं मानते हैं किन्तु एक गुण स्निग्ध, २ गुण रूक्ष आदि में तो बन्ध हो सकता है दोनों तरफ जघन्य गुण होने पर बन्ध नहीं होता है। एक
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