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श्री हंसराज बच्छराज नाहटा सरदारशहर निवासी
द्वारा
जैन विश्व भारती, लाडनू
को सप्रेम भेंट
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ऐतिहासिक तथ्य
इतिहास का सजीव अंग : - हम जैनो के तीर्थ और मंदिर जो सम्पूर्ण भारत में फैले हुए हैं, हमारी पुरानी सभ्यता के प्रतीक हैं । हमारे पूर्वज कला के कितने मर्मज्ञ, कितने उच्च आदर्श वाले, कितने न्यायी, कितने शान्ति प्रिय और गुरुजनो के प्रति कितने श्रद्धालु थे, यह इन तीर्थो के विशाल वक्ष स्थल पर पूर्णतया प्रति है । अतीत में अज्ञानी तत्वो के कोप, विधर्मी सत्ताघारियो की कठोर दुधारी तलवार, समय-समय पर आनेवाले प्राकृतिक प्रकोप और इनसे भी बढकर हमसे ही अलग हुए मतभेदी भाइयो का खडखड कर देने वाला घातक खडनवाद; जैसे अनेक कठोर आघातो को अनुपम सयम और दृढता पूर्वक सहते हुए इन तीर्थराजो ने अत्यन्त भीषण अग्नि परीक्षा दी है। सौभाग्य की बात है कि आज भी ये उच्च मस्तक हमारे वीच विद्यमान है और सूर्य के समान चमक रहे हैं । धार्मिक भावना के रक्षक - प्रेरक - सावधानी पूर्वक अवलोकन से