Book Title: Pooja ka Uttam Adarsh
Author(s): Panmal Kothari
Publisher: Sumermal Kothari

View full book text
Previous | Next

Page 83
________________ और शायद कमजोर पड जाय तो न भी कर सके पर वाहर के किसी भी उपाय से हमारा स्थायी सुधार नही हो सकता। हमारा वास्तविक सुधार तभी हो सकता है जब हम न्याय समझने के वाद उस पर डटना सीख लेंगे। यानी अपने मन पर अपना नियत्रण रखना सीख लेगे । यही एकमात्र उपाय है जिस पर हमारी सम्पूर्ण सफलता निर्भर करती है। इस कला मे हमारे लिए निपुण होना अत्यन्त आवश्यक है। मन को अन्याय से रोक कर, न्याय पर लाने के लिए उस पर नियत्रण कायम करना हो तो हमें सात्विक-जीवन का महत्व और अनैतिकता से हानि के सम्बन्ध में ठीक से समझना चाहिए ताकि सात्विकता में मन की रुचि बन जाय । विचारें___"हे जीव | इस ससार में बहुत अल्प काल का मेरा निवास है। , मै नही जानता, कव चला जाऊँगा? मेरे साथ एक कौडी चलने वाली नहीं है। फिर अन्याय किस लिए करू ? यदि सोचू-भावी पीढी या समाज वाले तो सुखी होगे, यह भी निरा भ्रम है । प्रत्यक्ष देख रहा हूँ कि जिनके वाप-दादा करोडो रुपये छोड गये उनके वंशज आज भीख माग रहे है और देख रहा हूँ-भगवान महावीर, भगवान रामचन्द्र, भगवान कृष्णचन्द्र जैसे महारथियो की समाज को छिन्न-भिन्न अवस्था में। फिर मै किस खेत की मूली हूँ ? अनैतिक प्रयलो से थोडी देर के लिए कुछ प्राप्त कर भी लूगा तव भी पासा पलटते क्या देर लगेगी ? प्रकृति जव चाहे उजाड सकती है। द्वीपो के समुद्र और समुद्रो के द्वीप वनना कुछ क्षणो का मामला है। एक भूकम्प के धक्के से सव धूलि-धूसरित हो सकता है। "ऐसे नश्वर ससार में फिर अन्याय क्यो करू एव ऐटम तथा हाइड्रोजन वम जैसे घातक अस्त्र बनाकर इस नश्वरता को और तीक्ष्ण क्यो करू ? तलवार चमकाता हुआ या वन्दूक ताने रह कर में भी सुख की नीद सो नही सकता और जब मेरा जीवन ही गान्तिमय नहीं हो सका तव ऐसे प्रपचो का मेरे लिए क्या मूल्य ? इसका अर्थ कदापि यह नहीं है कि मुझे, मेरे या किसी दूसरे के लिए, कुछ नही करना है। मेरा तो जीवन ही कार्य करने के लिए है, पर अन्याय के लिए नही। __"मैं अपनी मेहनत पर ही जीऊ, यही मेरी वहादुरी है। औरो के परिश्रम पर जीना भयकर कमजोरी है। कोई खुशी से भी यदि अपनी मेहनत को मुझे दे तब भी उसे स्वीकार करना मेरे लिए उचित नही । फिर दूसरो की मेहनत को १३७

Loading...

Page Navigation
1 ... 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135