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अपना अपमान जैसा लग सकता है या हमे कुछ भौतिक पदार्थों की हानि हो सकती है किन्तु कालान्तर मे अपने हृदय की सच्ची सेवा-भावना के कारण हमे व्याज सहित अपना मूल्य वापिस मिल जायेगा । मनुष्य होने के नाते हमारा भी कुछ फर्ज है । मनुष्य मात्र का स्थायी कल्याण चाहने वाले तो आपस के प्रेम को ही सफल, अजय और शक्तिशाली अस्त्र समझते हैं ।
अन्यायी के अन्याय को रोकना हो तो पहले हमे न्याय पर चलना चाहिए । उसके अन्याय को हम इसलिए नही दवा पाते कि हम स्वय न्याय का रास्ता छोड बैठते है । यही हमारी मुख्य कमजोरी है । यही असली कारण है कि हमे पूर्ण सफलता नही मिलती । दूर क्यो जावे, क्या हम अपने भाइयो के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार आज भी अपना रहे हैं ? क्या हममे सच्चा प्रेम है ? क्या हमारे सरकारी कर्मचारी न्याय करने मे ईमानदार है ? नेता लोग पदो के लिए आपस मे नही लड रहे है ? जब शस्त्र ही जग लगा हो तो मैदान जीतने का प्रश्न ही कैसा ? हम सफलता की आशा ही कैसे करें ? यदि विजय प्राप्त कर भी लेगे तव भी हम आपस मे कट मरेगे । सत्य और न्याय के बिना सब शून्य ही है ।
जब हम न्याय पर दृढ रहेगे तो सारा ससार हम से सहयोग रखेगा । यही एक उपाय है जिससे अन्यायी रास्ते पर लाया जा सकता है । आशा है हम मे उचित ज्ञान का उदय होगा और हम सब जो थोडे समय के लिए यहाँ रहने आये है, शान्तिमय जीवन व्यतीत करने में सफल होगे । संसार की अशान्ति और अन्यायी के अन्याय को देखकर हमे घवडाना नही चाहिए । ससार में कैसी भी अशान्ति क्यो न हो उसे दूर करने का या उससे दूर रहने का यही उपाय है कि हम न्याय पर डटे रहे। शान्ति की शीतलता हमे बराबर मिलती रहेगी । हमारा यह धन हमसे कोई छीन नही सकता ।
स्वनियत्रण
दूसरो से हमारा बचाव अपने सुधार पर ही निर्भर है । हमारी रक्षा हमारे गुण ही कर सकते है । सोचना यही है कि हम अपना सुधार कैसे बनाये रखें। समाज या सरकार हमारी रक्षा या हमारा ऊपर - २ का सुधार कर सकती है
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