Book Title: Pooja ka Uttam Adarsh
Author(s): Panmal Kothari
Publisher: Sumermal Kothari

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ क्या दोनों को लाभ होगा ? भाग्यवगा यदि मुनिराज पधार जाँय तो क्या वे आहार लेकर दोनो को लाभ देंगे ? यदि नही तो उन्हें समझना चाहिए कि वकरा चढाने में और फूल चढाने में कितना अन्तर है। एक को लाभ की प्राप्ति होती है और दूसरे को क्यों नहीं होती । फूल के जीव की वकालात करने वालो को तो श्रीर भी दो बार सोचना चाहिये । यद्यपि हमारा उद्देश्य उसकी भलाई करने का नही है तो भी अप्रत्यक्ष रूप से ही सही अन्य प्रयोगो को देखते हुए हमारे इस व्यवहार ने उन जीव की भलाई ही हुई है । इम प्रयोग से हमारे विषय सुखो में न्यूनता आती है एव फूलकी वेदनामें भी भारी कमी पड जाती है । क्या इन्हें उसकी भी भलाई अच्छी नही लगती ? महक से मोहित हो विपय सुखो के लिए पहन कर मनोमने तो उन्हें जरा भी विचार उत्पन्न नही होता । कच्चे फूलो को भट्टी पर उबाल कर उनमे बनाये गये सरम गुलकद और गुलावजल को खाते समय श्रावकों को ही नही पच महाव्रतवारी मुनिराजों को भी फूलो पर जरा दया नही आनी और यहाँ इतने दुख दर्द के आँसू बहाते है मानो उनके पुत्र का ही वध हो रहा हो । इमे कहना चाहिए - "भीम के लिए धृतराष्ट्र का रोना ।" पूजा में फूल न तो उवाला जाता है और न ममोमा ही । फूल यदि बोलता तो वह जरूर कहता कि "माला पहन कर ममोसने वालो एव उबाल कर अर्क निकालने वालो के हाथो मे नरी दशा में पहुँचने की अपेक्षा पूजा के स्थान में आकर समाप्त होना * चूंकि घृतराष्ट्र के सारे पुत्रो को युद्ध में भीम ने ही मारे थे, इसलिए मन ही मन धृतराष्ट्र को भीम पर बडा ही क्रोध था । जव युद्ध समाप्त हुआ तो भीम को दबोच कर मार डालने की इच्छा से, उन्होने श्रीकृष्ण भगवान से कहा- "मैं भीम को गले लगाना चाहता हूँ ।" भगवान उनका भावार्थ समझ गये । एक भीमकाय आहे का पुतला बनाया और अन्दर गुड का पानी भर दिया । धृतराष्ट्र से कहा गया भीम यहीं खडा है, मिल लीजिए । धृतराष्ट्र अधे तो थे ही भीम समझ उस पुतले को ऐसा जोर से दवाया कि उसका कचूमर निकल गया । उसमें जो पानी भरा हुआ था वह जोरो से उछला । समझा, भोम चल वसा । जोर-२ मे चिल्लाये - 'हा भीम ! हा भीम ! भगवान कृष्णचन्द्र वोले -- "शान्त होइये, यह तो आटे का पुतला था । भीम जीवित है ।" बिचारे बहुत लज्जित हुए । २३

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135